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नेपा लिमिटेड प्रबंधन द्वारा संविदा कर्मचारियों की कार्यावधि बढ़ाने का प्रस्ताव भारी उद्योग मंत्रालय के अनुमोदन हेतु प्रेषित...

प्रदेश पत्रिका:- नेपा लिमिटेड प्रबंधन द्वारा संविदा कर्मचारियों की कार्यावधि बढ़ाने हेतु एक सकारात्मक पहल की गई है। संस्थान के उच्च प्रबंधन की ओर से सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूर्ण करते हुए प्रस्ताव को केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय के अनुमोदन हेतु अग्रेषित कर दिया गया है। जैसे ही प्रस्ताव को अनुमोदन प्राप्त होता है, विभागीय स्वीकृति के आधार पर अविलंब संविदा कर्मचारियों की कार्यावधि बढ़ा दी जाएगी।


यह अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि वर्तमान में नेपा लिमिटेड एक आर्थिक चुनौती के दौर से गुजर रहा है, किंतु फिर भी संस्थान की मूल प्रतिबद्धता अपने कर्मचारियों एवं क्षेत्रीय विकास के प्रति अटल है। वर्तमान सीएमडी कमोडोर अरविंद वढेरा (विशिष्ट सेवा मेडल) के नेतृत्व में संस्थान सतत् रूप से मंत्रालय स्तर पर संवाद एवं प्रयासरत है। वे पिछले एक सप्ताह से दिल्ली में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क में हैं और संचालन हेतु आवश्यक फंड प्राप्ति हेतु हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

नेपा के भविष्य के प्रति आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जिस प्रकार देश में समग्र विकास की गति तेज़ हुई है, उसी ऊर्जा और दिशा में नेपा लिमिटेड भी विकास पथ पर अग्रसर होगा।

खंडवा लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री ज्ञानेश्वर पाटिल का इसमें विशेष सहयोग रहा है। उनके द्वारा नेपा लिमिटेड के संचालन हेतु विशेष वित्तीय सहायता की मांग रखी गई हैं, जिससे संस्थान की उत्पादन प्रक्रिया को गति दी जा सके।

गौरतलब हैं कि, बुरहानपुर जिले के आदिवासी अंचल नेपानगर में स्थित नेपा लिमिटेड भारतीय उपमहाद्वीप की प्रतिष्ठित और पहली औद्योगिक इकाई है, जिसने दशकों तक अखबारी कागज के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्रदान करते हुए विदेशी मुद्रा की भारी बचत कराई है। पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ भारत अभियान, एवं सामाजिक-सांस्कृतिक उत्तरदायित्वों में भी नेपा का योगदान सदैव उल्लेखनीय रहा है।

यहां पर रीसायकल प्रक्रिया के माध्यम से देशभर से संग्रहित अनुपयोगी रद्दी कागज को पुनः उपयोगी पेपर में परिवर्तित कर पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था एवं रोजगार को भी सशक्त किया जाता रहा है।

नेपा लिमिटेड का यह समर्पण, न केवल इसकी औद्योगिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों – जब नेतृत्व सशक्त हो, सोच सकारात्मक हो और इरादे अडिग हों, तो कोई भी संस्था पुनः स्वर्णिम युग की ओर बढ़ सकती है।


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