गोरैया जैसे दिखने वाले अबालील पक्षियों ने अपने परिवार का विस्तार करने के लिए नया ठिकाना तलाश लिया है.
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गोरैया जैसे दिखने वाले अबालील पक्षियों ने बनाए घोंसले |
प्रदेश पत्रिका बुरहानपुर : गर्मी का मौसम आते ही अबाबील पक्षी ऐसी जगह घोंसले बनाते हैं जहां पानी उपल्ब्ध होता है. क्योंकि इन्हें अपना घोंसला बनाने के लिए गीली मिट्टी की जरूरत पड़ती है. गर्मी का मौसम आते ही बुरहानपुर में ताप्ती नदी का जलस्तर घटने लगा है. ऐसे में शाहपुर रोड स्थित पुरानी पुलिया के नीचे अबाबील पक्षियों ने डेरा डाल लिया है.
ताप्ती नदी के पुल के नीचे बनाए घोंसले
पुलिया के नीचे अबाबील ने मिट्टी के घोंसले बनाए है. गिली मिट्टी से ये पक्षी अपने घोंसले बनाते हैं. इसमें इनका बसेरा होता है. यह नजारा काफी आकर्षक दिखाई देता हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि अबाबील पक्षी दशकों से ताप्ती नदी की पुरानी पुलिया के नीचे ठंडी जगह में घरोंदा बनाते हैं. ये पक्षी गीली मिट्टी, कपास और मुंह की लार से घोंसला बनाते हैं. इन दिनों अंग्रेजों के ज़माने में बनाए गए ताप्ती नदी की पुरानी पुलिया के नीचे सैकड़ों की संख्या में अबाबील ने घोंसले बनाए हैं.
अबालील मूल रूप से अफ्रीका व यूरोप के
जानकार बताते हैं कि हर साल ये पक्षी आते हैं. गर्मी के अंतिम महीने में चले जाते हैं. इनको देखने के लिए लोगों की भीड़ एकत्रित होती है. क्योंकि अबाबील के घोंसले बेहद आकर्षक और खूबसूरत दिखाई देते हैं. ये पक्षी मूल रूप से साउथ अफ्रीका और यूरोप के हैं. ये पक्षी 9 महीने भारत भ्रमण पर आते हैं. ये घास और तिनके से घोंसला बनाते हैं. इनकी उड़ान 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ज्यादा होती है. स्थानीय निवासी गोकुल खंडारे ने बताया कि अबाबील पक्षी भारत में 9 महीने तक घूमते हैं.
अबालील
बता दें कि आबाबील पक्षी गोरैये जैसे आकार की खूबसूरत चिड़िया जैसे होते हैं. नर और मादा चिड़िया मिलकर घोंसला बनाते हैं. इन्हें सबसे तेज उड़ान भरने वाली चिड़िया के रूप में भी जाना जाता है. ये पक्षी 40 घंटे बिना रुके उड़ भर सकते हैं. इस प्रकार ये पक्षी एक दिन में 300 किमी तक उड़ान भर लेते हैं. ये पक्षी जमीन पर बहुत कम उतरते हैं. इनके घोंसले खंडहर, गुफाओं या फिर ओवरब्रिज के नीचे होते हैं.
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