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बुरहानपुर के ताप्ती मिल के मजदूरों को 7 महीने से नहीं दिया जा रहा वेतन

 


बुरहानपुर की लालबाग ताप्ती मिल के मजदूरों को वेतन न मिलने की समस्या काफी समय से चल रही है। जानकारी के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद से यह मिल बंद पड़ी है। मजदूरों का कहना है कि उन्हें नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन (NTC) से मिलने वाला आधा वेतन भी पिछले 7 महीनों से नहीं मिला है, जिससे उनके परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

लगभग 1200 से अधिक दैनिक और नियमित मजदूर इस मिल में कार्यरत हैं। मिल प्रबंधन ने बताया है कि नए सीएमडी ने कार्यभार संभाला है और उन्हें मिल की स्थिति से अवगत कराया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार जल्द ही मिल को दोबारा शुरू करेगी क्योंकि बुरहानपुर की यह मिल फायदे में है।

यह भी बताया गया है कि एनटीसी (NTC) अपने टीडीआर (TDR) बेचकर मिलने वाली राशि से वेतन का भुगतान कर रही थी, लेकिन हाल ही में एक टेंडर रद्द होने के कारण यह समस्या आई है। उम्मीद है कि नए टीडीआर होते ही मजदूरों को जल्द ही उनका बकाया वेतन मिल जाएगा।

संक्षेप में, लालबाग शास्त्री मिल के मजदूरों को वेतन न मिलने का मुख्य कारण मिल का बंद होना और एनटीसी द्वारा वेतन भुगतान के लिए टीडीआर बिक्री में आई बाधा है।

बुरहानपुर. जब परिवार के कमाऊ सदस्य का रोजगार छिन जाता है या फिर किसी व्यापारी का व्यापार ठप हो जाता है, तो परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगता है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हो जाती है. उनके जो सपने हैं, वो टूटने लगते हैं. कुछ ऐसा ही मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के ताप्ती मिल के मजदूरों के साथ देखने को मिल रहा है. ताप्ती मिल के मजदूरों को पिछले 7 महीने से वेतन नहीं मिला है, जिस कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वे अपने बच्चों की फीस नहीं भर पा रहे हैं, तो उन्हें किराना सामान भी उधार नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में अब उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. वे लोग दूसरी जगह मजदूरी भी नहीं कर पा रहे हैं.


कर्मचारी पंकज पवार ने जानकारी देते हुए बताया कि यह समस्या हमारे सामने बनी हुई है. करीब ऐसे 700 मजदूर हैं, जो मिल में काम करते थे लेकिन कोरोना काल में यह मिल बंद हो गई. करीब चार साल हो गए हैं. जो आधा वेतन मिलता था, वो भी 7 महीने से बंद कर दिया है. अब परिवार को पालना मुश्किल होता जा रहा है. कुछ युवाओं की तो शादी भी नहीं हो पा रही है. हम मांग करते हैं कि इस मिल को शुरू किया जाए और हमारा जो वेतन है, वो हमें रेगुलर मिले ताकि हम अपने परिजनों का पालन-पोषण कर सकें.


मिल से जुड़ा है पीएफ अकाउंट

मजदूर पंकज पवार और आशु ने कहा कि हम इस मिल में काम करते थे लेकिन कोरोना काल में यह मिल बंद हो गई. इस वजह से अब हमारे सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में हम दूसरी जगह भी काम नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि हमारा पीएफ अकाउंट यहां पर है. दूसरी जगह हम मिल में मजदूरी करने के लिए जाते हैं, तो वहां पर हमारा पीएफ नहीं कटता है, जिस कारण हमें और डबल परेशान होना पड़ रहा है. पिछले 7 महीने से जो आधा वेतन मिलता था, वो भी बंद हो गया है. अब हमारे लिए घर चलाना मुश्किल हो गया है.

युवाओं की नहीं हो रही शादी

स्थानीय निवासी आशीष शुक्ला ने कहा कि यह मिल जब शुरू हुई थी, जो भी युवा उस समय काम करते थे, इस मिल का नाम सुनते ही लोग अपनी बेटियों की शादी यहां काम करने वालों से करा देते थे. जब से मिल बंद हुई है और यहां पर जो कुंवारे लड़के काम करते थे, अब उनकी शादी में भी दिक्कत आ रही है क्योंकि शादी के लिए जो भी रिश्ता आ रहा है, वे बता ही नहीं पा रहे हैं कि हम कहां पर काम करते हैं. मिल बंद सुनते ही रिश्ते भी टूट रहे हैं. जब इस पूरे मामले को लेकर मिल मैनेजमेंट से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया. वे कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बचते नजर आए.

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