इमरजेंसी कोई दुर्घटना नहीं, वह कांग्रेस की मानसिकता का परिणाम थी -भार्गव - इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव का बुरहानपुर में तीखा हमला, मीसाबंदियों का सम्मान.....
राजस्थान भवन में गरजे भार्गव, बोले – इंदिरा गांधी को सत्ता का अहंकार था, लोकतंत्र की हत्या की गई थी
प्रदेश पत्रिका :- बुरहानपुर में 25 जून 1975 – भारत के लोकतंत्र का वह दिन जिसे इतिहास में काले अध्याय के रूप में लिखा गया। और इसी दिन की 50वीं बरसी पर बुरहानपुर के राजस्थान भवन में भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित मीसाबंदियों के सम्मान कार्यक्रम में इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कांग्रेस पर तीखे शब्दबाण चलाते हुए कहा – इमरजेंसी कोई दुर्घटना नहीं थी, वह कांग्रेस की राजनीतिक आदत और मानसिकता का परिणाम थी।
श्री भार्गव ने कहा अंग्रेज तो इस देश से चले गए, लेकिन आजादी के बाद भी कांग्रेस ने उनकी मानसिकता नहीं छोड़ी। आपातकाल इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा वह समय था जब संविधान को ताक पर रखकर व्यक्तिगत सत्ता की रक्षा के लिए पूरे देश को एक तानाशाही शासन के अधीन कर दिया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया और उन्हें छह वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया। इन सबके बीच 25 जून 1975 की रात को राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री की सिफारिश पर देश में आपातकाल लागू कर दिया।
श्री भार्गव ने कहा आज के कांग्रेस नेता कहते हैं कि संविधान खतरे में है और राहुल गांधी हर जगह संविधान की किताब लेकर घूमते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि संविधान सबसे ज़्यादा खतरे में तब था, जब कांग्रेस ने बिना कैबिनेट की बैठक बुलाए आपातकाल थोप दिया था। उन्होंने कहा कि 42वें संविधान संशोधन, प्रेस पर सेंसरशिप और हजारों लोगों की गिरफ्तारी लोकतंत्र की हत्या के उदाहरण हैं। भार्गव ने दो टूक कहा इंदिरा गांधी को सत्ता का ऐसा नशा चढ़ा था कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को पांव तले रौंद दिया गया।
लिखो तो जेल, चुप रहो तो भी जेल
कार्यक्रम के दौरान महापौर श्री भार्गव ने इमरजेंसी काल में मीडिया की स्थिति को लेकर भी अपनी पीड़ा साझा की। उन्होंने कहा – तब ऐसा दौर था जब अखबारों में 'लोकतंत्र जिंदाबाद' लिखने पर भी पत्रकार जेल चले जाते थे। लिखो तो जेल, अच्छा लिखो तो भी जेल और न लिखो तो भी जेल – यही उस दौर की तस्वीर थी। उन्होंने इसे मीडिया जगत का सबसे काला दौर करार दिया।
भार्गव ने कहा – हमारी आने वाली पीढ़ी को जानना चाहिए कि किन लोगों ने बोलने की आज़ादी के लिए जेल काटी थी। लोकतंत्र कोई तंत्र नहीं, यह तप से पैदा हुआ है।
मीसाबंदियों का सम्मान, लोकतंत्र के रक्षकों को नमन
इस अवसर पर 1975 के दौरान मीसा कानून में बंद किए गए लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान किया गया। मंच पर उपस्थित विधायक अर्चना चिटनिस, नेपानगर विधायक मंजू दादू, महापौर माधुरी अतुल पटेल और भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. मनोज माने ने इन वीरों को संविधान के सच्चे प्रहरी बताते हुए सम्मानित किया।
कांग्रेस शासन में महिलाएं सूरज ढलने का इंतज़ार करती थीं
भार्गव ने कांग्रेस शासन की नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा – उस दौर में महिलाएं अंधेरा होने का इंतज़ार करती थीं, क्योंकि घरों में शौचालय नहीं थे। चूल्हों पर फूंकनी से फेफड़े जलाकर रोटियां बनाई जाती थीं। आज मोदी सरकार ने 12 करोड़ से अधिक गैस कनेक्शन देकर महिला गरिमा की रक्षा की है।
उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा – अगर कांग्रेस इसे भी 'अघोषित इमरजेंसी' कहती है तो उसे पहले तय करना चाहिए कि उसे विकास से परेशानी है या लोकतंत्र से?
आपातकाल भारतीय लोकतंत्र की शर्मनाक घटना
भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. मनोज माने ने कहा कांग्रेस का लोकतंत्र में विश्वास तब तक है जब तक वह सत्ता में है। जब वह सत्ता से बाहर होती दिखाई देती है, वह संविधान और लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ाने से नहीं चूकती। "डॉ. राममनोहर लोहिया के ये शब्द 25 जून 1975 को उस समय सत्य सिद्ध हुए, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने आज से 50 वर्ष पहले, 25 जून 1975 को देश पर आपातकाल थोप दिया। यह घटना भारतीय लोकतंत्र के इतिहास की सबसे दुखद और शर्मनाक घटनाओं में से एक है।
कांग्रेस बार-बार संविधान को बेरहमी से कुचलती रही
पूर्व मंत्री एवं विधायक अर्चना चिटनिस ने कहा कांग्रेस संविधान बचाने की बात करती है, लेकिन इतिहास गवाह है कि वही कांग्रेस बार-बार संविधान को बेरहमी से कुचलती रही है। कांग्रेस के लिए लोकतंत्र सिर्फ एक दिखावा है। 2014 में भाजपा के नरेंद्र मोदीजी जैसे व्यक्तित्व के रूप में भारत को महान नायक मिला। जिनके नेतृत्व में लोकतंत्र की जड़ें बहुत मजबूत व गहरी हुईं है। आज भाजपा के नेतृत्व में लोकतंत्र मजबूत हो रहा है संविधान की रक्षा की जा रही है।
इस दौरान नेपानगर विधायक मंजू दादू, पूर्व विधायक सुमित्रादेवी कास्डेकर, जिला पंचायत अध्यक्ष गंगाराम मार्को, मीसाबंदी अधिवक्ता अरुण शेंडे, ज्ञानेश्वर मोरे, पूर्व महापौर अतुल पटेल, दिलीप श्रॉफ, फेडरेशन अध्यक्ष जयंतीलाल नवलखे, ईश्वर चौहान सहित अन्य मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन विपुल कानगो ने किया।
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