बुरहानपुर में बन रहे श्री गुरुगोविंदसिंह मेमोरियल संग्रहालय का निर्माण कार्य अब तेज़ी से पूरा हो पाएगा. विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) इसके लिए लगातार प्रयास कर रही हैं. अब यह संग्रहालय 34 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा, जिसकी सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है. इस पर श्रीमती चिटनिस ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार व्यक्त किया है.
।। प्रदेश पत्रिका से दीपक सोनवणे ।।
बुरहानपुर में बन रहे श्री गुरूगोविंदसिंह मेमोरियल संग्रहालय का निर्माण कार्य अब अतिशीघ्र पूर्ण हो सके, इस हेतु विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) लगातार प्रयासरत है। अब 34 करोड़ रूपए की लागत से म्यूजियम का निर्माण कार्य होगा। जिसकी सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। जिस पर श्रीमती चिटनिस ने मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बताया कि बुरहानपुर में लगभग 17 करोड़ की लागत से श्री गुरूगोविंदसिंह मेमोरियल संग्रहालय स्वीकृत किया गया था। इस म्यूजियम का निर्माण कार्य राशि आवंटन के अभाव और देरी के कारण इसकी लागत में वृद्धि होने के चलते निर्माण कार्य रूक गया था। वर्तमान में इस म्यूजियम की लागत लगभग 34 करोड़ रूपए से अधिक हो गई है। श्रीमती चिटनिस द्वारा मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव सहित संबंधित अधिकारियों से पत्राचार एवं भेंट की। साथ ही विधानसभा में ध्यानाकर्षण और प्रश्न लगाया गया था। श्रीमती चिटनिस के आग्रह पर मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने मध्यप्रदेश सरकार के बजट से बढ़ी हुई शेष राशि 17 करोड़ रूपए का आवंटन करने के निर्देश दिए। जिसके बाद पुरातत्व विभाग द्वारा उक्त प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया। वित्त विभाग द्वारा बढ़़ी हुई राशि 17 करोड़ रूपए की अतिरिक्त सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई। इसमें म्यूजियम में साफ काम्पोनेन को भी सम्मिलित किया गया है। साथ ही केन्द्र शासन से शेष 9 करोड़ रूपए आवंटित किए जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही की गई। अतिशीघ्र राशि आवंटन के बाद निर्माण कार्य प्रारंभ होकर पूर्ण किया जा सकेगा।
विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि 17वीं शताब्दी में भारत की भूमि पर अनेक महापुरूषों और वीरों ने जन्म लिया। जिसके फलस्वरूप आज मां भारती और हम भारतवासी होकर भारत भूमि पर अपनी सांस ले पा रहे है। इस काल में गुरू गोविंदसिंह जी, छत्रपति शिवाजी महाराज आदि ने जन्म लेकर अत्याचार और अनाचार के विरूद्ध संघर्ष करते हुए भारतीयता की रक्षा की। ऐसे महापुरूषों की यादें आने वाली पीढ़ी और संपूर्ण विश्व जान सके, इस दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुरू गोविंदसिंह के 350वीं जयंती पर अपने बुरहानपुर के लिए 34 करोड़ की लागत से श्री गुरूगोविंदसिंह मेमोरियल म्यूजियम की स्वीकृति प्रदान कराकर हम यह ‘‘खांडा‘‘ आकार में तीन मंजिला भवन निर्माण करा रहे है। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि बुरहानपुर एक पौराणिक शहर है जिसमें श्री गुरूगोविंदसिंह जी और श्री गुरूनानक जी जैसी पुण्यात्माओं के चरण यहां की धरती पर पड़े। वो एक बड़े दार्शनिक, योजक, संघटक और कई भाषाओं के जानकार थे।
*भवन की संरचना*
विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बताया कि म्यूजियम बिल्ंिडग ग्राउंड फ्लोर के अलावा दो फर्स्ट फ्लोर और सेकेंड फ्लोर होंगे। जिसका टोटल एरिया स्क्वायर मीटर 6279 स्क्वायर मीटर होगा। भवन के निर्माण की कुल कीमत 34 करोड़ होगी। भवन की डिजाइन सिख पंथ के पवित्र चिन्ह ‘‘खांडा‘‘ जैसी होगी। जिसमें 500 सीटर ऑडिटोरियम का निर्माण किया जाएगा। पार्किग और पार्क के साथ पाथ वे की भी सुविधा होगी। भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की भी व्यवस्था की जाएगी। श्री गुरूगोविंदसिंह मेमोरियल संग्रहालय में 10वें गुरू श्री गुरूगोविंदसिंह की जीवनी को दर्शाया जाएगा। श्रीमती चिटनिस ने बताया कि गुरूगोविंदसिंह जी ने स्वयं अनेक ग्रंथों की रचना की, उनके दरबार में 52 कवि तथा लेखकों की मौजूदगी रहती थी, इसलिए उन्हें “संत सिपाही” भी कहा जाता है। श्री गुरूगोविंद सिंह जी शांति, क्षमा, सहनशीलता परिपूर्ण थे। उनमें समता, समानता और समरसता का भरपूर ज्ञान था वे लोग रंग भेदभाव आदि में विश्वास नहीं करते थे।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मा. नरेन्द्र मोदी जी की घोषणा के बाद से ही श्रीमती अर्चना चिटनिस बुरहानपुर में श्री गुरूगोविंदसिंह जी की 350वीं वर्षगांठ को समारोह स्वरूप में मनाए जाने तथा बुरहानपुर में दशमेश श्री गुरूगोविंदसिंह जी के मेमोरियल म्यूजियम की स्थापना हेतु निरंतर प्रयासरत रही है। वे इस दिशा में भारत सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय तथा गुरूगोविंदसिंह जी की 350वीं वर्षगांठ के लिए गठित समिति के अध्यक्ष केन्द्रीय रक्षा मंत्री एवं तत्कालिक केन्द्रीय गृह मंत्री मा.राजनाथसिंह तथा सदस्य स्व.सुषमा स्वराज, डॉ. महेश शर्मा, डॉ. एस.एस. अहलुवालिया से निरंतर पत्राचार तथा व्यक्तिगत संपर्क में रहकर प्रयासरत रही थी।
*6 माह 9 दिन बुरहानपुर रूके थे श्री गुरू गोविंदसिंह जी*
विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने कहा कि ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं के स्मरणोत्सव से ही भविष्य की पीढि़यां जड़ों से जुड़ सकेंगी। जो इतिहास भूल जाते है वह कभी इतिहास नहीं बना सकते। सिख सम्प्रदाय के दशम गुरू गोविंदसिंह जी का जून, 1708 ईसवी में नांदेड जाते समय छः माह नौ दिन तक बुरहानपुर में निवास रहा है। इसी ठहराव के समय में उन्होंने सुनहरी बीड (गुरूग्रंथ साहब) को लिपिबद्ध करवाया था। इस बीड़ के सभी पन्नों को सुनहरे बेलबूटों की कलापूर्ण चित्रकारी से सुसज्जित किया गया है। अंतिम पन्ने पर श्री गुरूगोविंदसिंह जी के करकमलों से उन्होंने स्वयं इस बीड़ पर सुनहरी स्याही से ओंमकार लिखकर इस महान ग्रंथ और गुरूद्वारे को पवित्रता-आस्था प्रदान की। बताया जाता है कि संपूर्ण विश्व में इस विशिष्टता के एकमात्र बीड़ (गुरूग्रंथ साहब) है। बुरहानपुर गुरूद्वारा बड़ी संगत के पीछे श्री गुरूगोविंदसिंह जी का पूजा स्थल है जहां गुरूजी स्वयं साधना-आराधना करते थे एवं पास ही एक कुआं भी स्थित है, जो तत्कालीन समय का है।
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