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बुरहानपुर जिले में पर्यटन विकास और संभावनाएं हेतु केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री गजेन्द्र शेखावत से अर्चना चिटनिस ने की भेंट.....

प्रदेश पत्रिका :-  नई दिल्ली प्रवास के दौरान विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन विभाग मंत्री गजेन्द्र शेखावत से मुलाकात कर बुरहानपुर जिले में पर्यटन व संस्कृति के क्षेत्र में अनेक कार्यों और संभावनाओं को लेकर विभिन्न मांगे रखी। असीरगढ़ किला को यूनेस्को की सूची में सम्मिलित करने, कुंडी भंडारे को को स्थायी सूची में शामिल करने तथा बुरहानपुर में बन रहे श्री गुरूगोविंदसिंह मेमोरियल संग्रहालय का निर्माण कार्य की दूसरी किश्त जारी करने का आग्रह किया। इसी के साथ श्रीमती चिटनिस ने भारत सरकार में संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल से भी मुलाकात कर बुरहानपुर पर्यटन व संस्कृति के क्षेत्र में संभावनाओं पर विस्तार से विमर्श कर सहयोग के लिए आग्रह किया।

कुंडी भंडारा को स्थायी सूची तथा असीरगढ़ किले को विश्व धरोहर की टैंटेटिव सूची में हो शामिल

श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि मध्यप्रदेश के पांच स्मारकों को यूनेस्को की अस्थाई सूची में सम्मिलित किया गया है। इसमें बुरहानपुर का कुंडी भंडारा भी एक महत्वपूर्ण स्मारक के रूप में ध्यान रखते हुए यूनेस्को के टैंटेटिव सूची में शामिल किया गया है। श्रीमती चिटनिस ने केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत से आग्रह किया कि कुंडी भंडारा को स्थायी सूची में तथा महाभारत काल से जुड़े मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण असीरगढ़ किले को भी विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नई दिल्ली को आवश्यक निर्देश जारी करने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह किला आसा अहिर जी द्वारा निर्मित है। असीरगढ़ किला को पुरातन काल में भारत का दक्षिण द्वार कहा गया। यह पुरातत्व धरोहर होकर ऐतिहासिक स्मारक के लिए जाना जाता रहा, ऐसा प्रसिद्ध किला है।

श्री गुरूगोविंदसिंह मेमोरियल संग्रहालय की दूसरी किश्त जारी करने हेतु रखी मांग

मुलाकात के दौरान श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि बुरहानपुर में की श्री गुरूगोंविन्द सिंह जी की 350वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘‘मेमोरियल म्युजियम‘‘ की स्थापना प्रदेश की महत्वपूर्ण योजना है। भारत शासन संस्कृति मंत्रालय नई-दिल्ली द्वारा वर्ष 2017-18 वित्तीय वर्ष में मेरे ही आग्रह पर केंद्र सरकार ने श्री गुरूगोविंद सिंह जी के मेमोरियल म्यूजियम के निर्माण हेतु राशि 17.06 करोड़ रूपए स्वीकृत की। बुरहानपुर का अपना गौरवशाली इतिहास रहा हैं जिसमें मानव संस्कृति विकास के विविध सोपान ताप्ती घाटी में उपलब्ध है। संग्रहालय किसी भी स्थल की संस्कृति का आइना होता है। इस महत्वपूर्ण स्थल का संबंध श्री गुरूगोंविन्द सिंह की यात्रा से जुड़ा होने के कारण एक बहुउद्वेश्यीय संग्रहालय की योजना बनायी गयी थी जिसमें बुरहानपुर के प्राचीन इतिहास कें साथ सिक्ख पर्व व श्री गुरूगोविन्द सिंह जी पर केन्द्रित दीर्घा बनाई जा रही हैं। भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय की म्युजियम ग्रांट स्कीम के अतंगर्त राशि 15.39 करोड़ रूपए का अनुदान स्वीकृत किया गया। प्रथम किश्त 7 करोड़ 69 लाख 50 हजार रूपए मध्यप्रदेश शासन के संचालनालय पुरातत्व, को प्रदान की गई थी, संचालनालय पुरातत्व द्वारा कार्य उक्त राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र एवं कार्य की अद्वतन स्थिति भेजी गई है। संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एंव संग्रहालय, म.प्र. भोपाल द्वारा कार्य की अद्वतन स्थिति एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजकर दूसरी किश्त प्रदान करने का अनुरोध भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय से किया गया है। राशि प्राप्त न होने के कारण भवन निर्माण कार्य पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ रहा है।

श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि मान. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के संकल्प के परिप्रेक्ष्य में ही इस महत्वपूर्ण संग्रहालय की स्थापना की जा रही है। श्रीमती चिटनिस ने इस कार्य की अगली किश्त से शीघ्र से शीघ्र उपलब्ध कराने हेतु केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन विभाग मंत्री गजेन्द्र शेखावत से विभागीय अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश जारी करने का अनुरोध किया।

अब 34 करोड़ की लागत से श्री गुरूगोविंदसिंह मेमोरियल म्यूजियम का कार्य होगा पूर्ण

उल्लेखनीय है कि बुरहानपुर में बन रहे श्री गुरूगोविंदसिंह मेमोरियल संग्रहालय का निर्माण कार्य अब अतिशीघ्र पूर्ण हो सके, इस हेतु विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस लगातार प्रयासरत है। अब 34 करोड़ रूपए की लागत से म्यूजियम का निर्माण कार्य होगा। जिसकी सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। श्रीमती चिटनिस ने बताया कि बुरहानपुर में लगभग 17 करोड़ की लागत से श्री गुरूगोविंदसिंह मेमोरियल संग्रहालय स्वीकृत किया गया था। इस म्यूजियम का निर्माण कार्य राशि आवंटन के अभाव और देरी के कारण इसकी लागत में वृद्धि होने के चलते निर्माण कार्य रूक गया था। वर्तमान में इस म्यूजियम की लागत लगभग 34 करोड़ रूपए से अधिक हो गई है। श्रीमती चिटनिस द्वारा मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव सहित संबंधित अधिकारियों से पत्राचार एवं भेंट की थी। साथ ही विधानसभा में ध्यानाकर्षण और प्रश्न लगाया गया था। श्रीमती चिटनिस के आग्रह पर मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने मध्यप्रदेश सरकार के बजट से बढ़ी हुई शेष राशि 17 करोड़ रूपए का आवंटन करने के निर्देश दिए है। वित्त विभाग द्वारा बढ़़ी हुई राशि 17 करोड़ रूपए की अतिरिक्त सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।

विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि 17वीं शताब्दी में भारत की भूमि पर अनेक महापुरूषों और वीरों ने जन्म लिया। जिसके फलस्वरूप आज मां भारती और हम भारतवासी होकर भारत भूमि पर अपनी सांस ले पा रहे है। इस काल में श्री गुरू गोविंदसिंह जी, छत्रपति शिवाजी महाराज आदि ने जन्म लेकर अत्याचार और अनाचार के विरूद्ध संघर्ष करते हुए भारतीयता की रक्षा की। धर्म और संस्कृति के लिए बलिदानी जीवन जी कर हमें प्ररेणा दी है। ऐसे योद्धा और महापुरूषों की यादें आने वाली पीढ़ी और संपूर्ण विश्व जान सके, इस दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा श्री गुरू गोविंदसिंह के 350वीं जयंती पर अपने बुरहानपुर के लिए 34 करोड़ की लागत से श्री गुरूगोविंदसिंह मेमोरियल म्यूजियम की स्वीकृति प्रदान कराकर हम यह ‘‘खांडा‘‘ आकार में तीन मंजिला भवन निर्माण करा रहे है। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि बुरहानपुर एक पौराणिक शहर है जिसमें श्री गुरूगोविंदसिंह जी और श्री गुरूनानक जी जैसी पुण्यात्माओं के चरण यहां की धरती पर पड़े। वो एक बड़े दार्शनिक, योजक, संघटक और कई भाषाओं के जानकार थे।

6 माह 9 दिन बुरहानपुर रूके थे श्री गुरू गोविंदसिंह जी

विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने कहा कि ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं के स्मरणोत्सव से ही भविष्य की पीढि़यां जड़ों से जुड़ सकेंगी। जो इतिहास भूल जाते है वह कभी इतिहास नहीं बना सकते। सिख सम्प्रदाय के दशम गुरू गोविंदसिंह जी का जून, 1708 ईसवी में नांदेड जाते समय छः माह नौ दिन तक बुरहानपुर में निवास रहा है। 

इसी ठहराव के समय में उन्होंने सुनहरी बीड (गुरूग्रंथ साहब) को लिपिबद्ध करवाया था। इस बीड़ के सभी पन्नों को सुनहरे बेलबूटों की कलापूर्ण चित्रकारी से सुसज्जित किया गया है। अंतिम पन्ने पर श्री गुरूगोविंदसिंह जी के करकमलों से उन्होंने स्वयं इस बीड़ पर सुनहरी स्याही से ओंमकार लिखकर इस महान ग्रंथ और गुरूद्वारे को पवित्रता-आस्था प्रदान की। बताया जाता है कि संपूर्ण विश्व में इस विशिष्टता के एकमात्र बीड़ (गुरूग्रंथ साहब) है। बुरहानपुर गुरूद्वारा बड़ी संगत के पीछे श्री गुरूगोविंदसिंह जी का पूजा स्थल है जहां गुरूजी स्वयं साधना-आराधना करते थे एवं पास ही एक कुआं भी स्थित है, जो तत्कालीन समय का है।

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