
शासकीय महाविद्यालय धुलकोट की भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ प्रभारी प्रोफेसर डॉ महिमा बाजपई ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के स्थापना दिवस पर चर्चा करते हुए भारतीय ज्ञान परम्परा और शिक्षा के बारे में विस्तार से बताया, हमारे देश की सनातन संस्कृति और ज्ञान परम्परा पर प्रकाश डालते हुए हमारी संस्कृति का अनुसरण करने का आह्वान किया।

उन्होंने बताया कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का उद्देश्य स्पष्ट है हमारी पुरातन गुरुकुल परम्परा और सनातन संस्कृति को स्थापित करना है।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास मालवा प्रान्त बुरहानपुर जिला संयोजक डॉ कृष्णा मोरे ने सर्वप्रथम 2 जुलाई न्यास की स्थापना की बधाई देते हुए श्री ओम जी शर्मा भाई और श्री राम सागर जी मिश्र भाई साहब के प्रति आभार व्यक्त किया।
उन्होंने बताया कि श्री ओम जी शर्मा भाई साहब शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के मध्यक्षेत्र संयोजक, राष्ट्रीय संयोजक आत्मनिर्भर भारत, राष्ट्रीय संयोजक शिक्षा से आत्मनिर्भरता का दायित्व का सफल संचालन कर रहे हैं, आपको तीन राज्यों का मध्य प्रदेश, गुजरात, गोवा का प्रभार दिया गया है। श्री ओम जी भाई साहब ने अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास में समर्पित कर दिया है उनके द्वारा प्रतिदिन अनेक क्षेत्रों का प्रवास किया जाता है, इतने प्रमुख और उच्च दायित्व का वहन करते हुए भी श्री ओम जी भाई साहब को अपने छोटे से छोटे कार्यकर्ता की चिंता रहती है हमेशा ही सभी का ख्याल परिवार के मुखिया की तरह ही रखते हैं। वे सरल और सहज स्वभाव के धनी है आपसे एक बार मिलने पर व्यक्ति अपने आप को न्यास की सेवा के लिए समर्पित कर देता है । इतने विशाल हृदय और मार्गदर्शन के कारण ही मालवा प्रांत में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में दिनों दिन आगे बढ़ रहा है।
आपका शारदा समूह शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगा रहा है, आपके शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचार से शिक्षा, समाज को प्रेरणा मिल रही हैं। जिसका अनुसरण देश, विदेश के शिक्षा संस्था और युवा पीढ़ी भी कर रही हैं। आपका मार्गदर्शन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के लिए अमूल्य धरोहर है।
श्री राम सागर जी भाई साहब शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली मालवा प्रांत का नेतृत्व भी हमारे लिए प्रेरणादायक है।
जिला संयोजक बुरहानपुर के डॉ मोरे ने बताया कि 2 जुलाई 2004 को शिक्षा बचाओ के लिए जो आंदोलन का प्रारंभ हुआ, इसी कड़ी में वर्ष 2007 में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का प्रारंभ हुआ । शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का विचार सूत्र है- देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा, मां मातृभूमि एवं मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है, समस्या नहीं समाधान की चर्चा करें। उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पाठ्यक्रम में मातृभाषा की महत्ता और कौशल पूर्ण प्रशिक्षण पर बल दिया गया है और साथ ही उद्यमिता को इससे जोड़कर युवाओं को रोजगार के नए अवसर और स्किल्स प्रदान की जा रही है। हमें हमारी मातृभाषा पर गर्व करना होगा संस्कृत ज्ञान की वैज्ञानिक भाषा है हमें मातृ भाषा में शिक्षक का समर्थन करना होगा। भारतीय ज्ञान परंपरा शिक्षा को अधिक मानवीय और नैतिक बनती हैं तथा आधुनिक तकनीक के साथ इसका समन्वय भी आवश्यक है, नित नए शोध और डिजिटल संसाधनों का विकास तथा नवाचारों को जोड़कर हमारे शिक्षा संस्कृति का उत्थान करना होगा। युवाओं को हमारी पुरातन संस्कृति और सनातन परंपरा को समझना होगा। वर्तमान में आज हम अपनी मूल भाषा को भूलते जा रहे हैं और पश्चिमी संस्कृति की ओर विमुख होते जा रहे हैं। शारदा स्कूल झाबुआ में किए गए नवाचार की तरह तिथि अनुसार जन्म दिवस मनाने है का भी आह्वान किया।
कार्यक्रम में श्री संतोष जी सेन श्री संदीप जी धोपे श्री जितेंद्र जी न्यादे ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ कृष्णा मोरे ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्वयं सेवक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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