नेपानगर की कागज फैक्ट्री में 17.6 करोड़ रुपये के पेपर स्टॉक सप्लाई टेंडर में कथित तौर पर फर्जीवाड़ा हुआ है। इस मामले में तत्कालीन चेयरमैन सहित कुल चार लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
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17.6 करोड़ में तय हुआ था पेपर स्टॉक सप्लाई का टैंडर |
प्रदेश पत्रिका : मध्य प्रदेश के नेपानगर मे नेशनल न्यूज़ प्रिंट एंड पेपर मिल्स लिमिटेड नेपा लिमिटेड में 17.6 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का सनसनीखेज मामला सामने आया है। दस्तावेजों में गड़बड़ी कर धोखाधड़ी के आरोप में नेपा लिमिटेड के तत्कालीन चेयरमैन समेत चार लोगों के. खिलाफसेक्टर 39 कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता सेक्टर. 44 निवासी आशुतोष चतुर्वेदी ने पुलिस को बताया कि अगस्त 2024 में उनके परिचित संजय रघुवंशी ने एक व्यापारिक प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव के अनुसार उनकी फर्म मधु ट्रेडिंग एंड सर्विसेज को नेपा लिमिटेड से पेपर स्टॉक सप्लाई का बड़ा ऑर्डर मिलने वाला था।
इस सौदे को लाभकारी बताते हुए संजय ने निवेश करने के लिए आशुतोष को राजी किया। इसके बाद उनकी मुलाकात नेपा के तत्कालीन चेयरमैन राकेश कुमार चौखानी से करवाई गई। संजय ने उन्हें अपना पड़ोसी और करीबी बताते हुए विश्वास दिलाया कि चौखानी के जरिए नेपा मिल के सभी बड़े टेंडर आसानी से मिल सकते हैं। इस भरोसे पर पीड़ित ने कुछ रकम बैंक खाते में ट्रांसफर की और शेष रकम नकद में दी। आरोप है कि इस दौरान पीड़ित को यह जानकारी नहीं दी गई कि राकेश चौखानी का तब तक नेपा लिमिटेड से ट्रांसफ र हो चुका था। बाद में सामने आया कि पूरे प्रकरण में 17.6 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया। पीड़ित ने आरोप लगाया है कि मामले का खुलासा होने के बाद उन्हें जान से मारने की धमकियां भी दी जा रही हैं। शिकायत के बाद पुलिस ने संजय रघुवंशी, राकेश कुमार चौखानी, मधु रघुवंशी और सिद्धांत रघुवंशी के खिलाफधोखाधड़ी और धमकी देने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
क्या कहना है इनका.....
इस पूरे मामले में नेपा मिल का सीधा कोई संबंध नही है, मिल प्रबंधन पूरी पारदर्शिता से केन्द्र सरकार के द्वारा दिए गए आदेशों का पालन करते हुए अपना कार्य करता है फिर चाहे वह टेंन्डर प्रक्रिया हो या फिर अन्य कोई आदेश व निर्देश। मिल प्रबंधन के द्वारा पहले भी शासकीय प्रक्रिया का उपयोग किया है आगे भी उन्ही नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
संदीप ठाकरे, जनसंपर्क अधिकारी नेपा मिल।
नेपा मिल पर पुराने सवाल फिर खड़े :
गौरतलब है कि पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के प्रयासों से केंद्र सरकार ने नेपा मिल के आधुनिकीकरण हेतु 458 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी थी। भारी राशि खर्च होने के बावजूद न तो मिल से उत्पादन शुरू हुआ और न ही बदहाली की स्थिति से बाहर निकल पाई। समय-समय पर नवीनीकरण राशि के उपयोग में अनियमितताओं और गड़बड़ियों की शिकायतें उठती रही हैं।
अब तत्कालीन चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पर लगे इस गंभीर धोखाधड़ी के आरोप ने नेपा मिल के पूरे प्रबंधन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। वर्तमान में मिल के सैकड़ों कर्मचारी अपने वेतन और बुनियादी सुविधाओं के लिए महीनों से इंतजार कर रहे हैं। अब देखना होगा कि जांच केवल औपचारिकता तक सीमित रहती है या फिर इस पूरे प्रकरण की तह तक जाकर जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई होती है। इस संबंध में नेपामिल के सीएमडी अरविंद वधेरा से उसने मोबाईल नंबर पर संपर्क करने का तीन से अधिक बार प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। वही मिल के प्रशांत सोनी से संपर्क करने पर उनके द्वारा इस संबंध में किसी प्रकार से कोई बयान देने से इन्कार करते हुए जनसंपर्क अधिकारी का हवाला देते हुए उनके जानकारी लेने को कहा गया
यह मामला नेपा लिमिटेड से जुड़ा हुआ है, जो देश का पहला अखबारी कागज कारखाना है और जिसका एक लंबा इतिहास रहा है। पिछले कुछ सालों में नेपा लिमिटेड कई तरह की परेशानियों और आर्थिक तंगी का सामना कर चुकी है।
इसके अलावा, नेपानगर क्षेत्र में कुछ अन्य वित्तीय और प्रशासनिक गड़बड़ियों के मामले भी सामने आए हैं, जैसे कि 2021 में बोरबन तालाब योजना में 42 लाख रुपये के गबन का मामला, जिसमें तत्कालीन एसडीएम और बैंक अधिकारियों सहित 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। हाल ही में, नागरिक सहकारी बैंक में 8.85 करोड़ रुपये के घोटाले का भी खुलासा हुआ है।
नेपानगर की कागज फैक्ट्री में सामने आया यह नया मामला दिखाता है कि इस क्षेत्र में वित्तीय अनियमितताओं की समस्या बनी हुई है। इन मामलों में प्रशासन और अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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