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क्यों बदल रहा 64 साल पुराना टैक्स कानून; ग्रेच्युटी, पेंशन और VRS में क्या हुआ बदलाव?

New Income Tax Bill 2025 नया आयकर विधयेक 2025 इनकम टैक्स कानून 1961 का स्थान लेगा। वर्ष 2026 के अप्रैल से प्रस्तावित नए आयकर कानून को लागू किए जाने का प्रस्ताव है। नए बिल को तैयार करने के लिए औद्योगिक विशेषज्ञों एवं टैक्स प्रोफेशनल्स के साथ गहन विचार विमर्श करने के अलावा आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के टैक्स प्रारूप का भी अध्ययन किया गया।
प्रस्तावित इनकम टैक्स कानून में टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।


नई दिल्ली। 64 साल पुराने आयकर कानून 1961 के सरलीकरण और इसमें चले आ रहे बेवजह के प्रविधानों को समाप्त करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोक सभा में इनकम टैक्स बिल 2025 को पेश किया। इस बिल में वर्तमान इनकम टैक्स कानून की तुलना में 24 अध्याय और 2,52,859 शब्दों को कम कर दिया गया है। 283 सेक्शन हटा दिए गए हैं तो 39 नए टेबल और 46 फॉर्मूला जोड़े गए हैं।

विपक्ष सदस्यों के एतराज के बीच ध्वनि मत से बिल पेश करने की मंजूरी दी गई। वित्तमंत्री ने आयकर कानून में संशोधन के लिए यह बहुप्रतीक्षित बिल लोकसभा में पेश कर दिया। हालांकि सरकार ने खुद ही बिल को संसदीय समीक्षा के लिए भेजने की पहल करते हुए स्पीकर ओम बिरला से विधेयक को संसद की प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) में भेजने का आग्रह किया। प्रवर समिति का गठन स्पीकर करेंगे और अगले मानसून सत्र के आखिर तक इसे अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करनी होगी।

नया आयकर विधयेक 2025 इनकम टैक्स कानून 1961 का स्थान लेगा। वर्ष 2026 के अप्रैल से प्रस्तावित नए आयकर कानून को लागू किए जाने का प्रस्ताव है। नए बिल को तैयार करने के लिए औद्योगिक विशेषज्ञों एवं टैक्स प्रोफेशनल्स के साथ गहन विचार विमर्श करने के अलावा ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के टैक्स प्रारूप का भी अध्ययन किया गया।
प्रस्तावित इनकम टैक्स कानून में टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। टैक्स की पुरानी व्यवस्था को भी कायम रखा गया है। प्रस्तावित कानून के मुताबिक इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के दौरान इस्तेमाल होने वाले मूल्यांकन वर्ष की जगह टैक्स ईयर शब्दावली का प्रयोग किया जाएगा ताकि भ्रम जैसी कोई स्थिति न पैदा हो। टैक्स नीति में भी कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। मुख्य रूप से इनकम टैक्स कानून के प्रारूप का सरलीकरण किया गया है।

इनकम टैक्स कानून 1961 को एक अप्रैल, 1962 से लागू किया गया था और तब से लेकर अब तक इस कानून में 65 बार संशोधन के जरिए 4000 बदलाव किए जा चुके हैं। इन सभी बदलावों को एक जगह आसान भाषा में प्रस्तावित कानून में प्रस्तुत किया गया है। पिछले कुछ सालों में टैक्स कानून में पारदर्शिता लाने के लिए फेसलेस अपील जैसे जो भी प्रविधान किए गए हैं, उन सभी को प्रस्तावित कानून में डाला गया है। इस बार फरवरी में पेश वित्तीय बिल को प्रस्तावित कानून में रखा गया है।

प्रस्तावित आयकर कानून में वेतनभोगियों के वेतन से जुड़े सभी प्रविधानों को एक जगह पर समाहित दिया गया है ताकि वेतन भोगी खुद भी उसे पढ़कर समझ सके और अपना रिटर्न भरने के लिए उन्हें अलग से किसी अध्याय का पन्ना नहीं पलटना पड़े। ग्रेच्युटी, छुट्टी के बदले नकदी, पेंशन की बिक्री, वीआरएस, क्षतिपूर्ति जैसी तमाम चीजों को वेतन अध्याय का पार्ट बना दिया गया है।

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