बदलते गए वर्जन, हेडस्टार्ट केन्द्र हो चुके हैं कबाड़ 700 करोड़ खर्च, लेकिन स्कूलों में नजर नहीं आ रहे कम्प्यूटर...??
भोपाल :- स्कूलों में डिजिटल एजुकेशन का दावा किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश में केवल तीन प्रतिशत बच्चे ही कम्प्यूटर का उपयोग कर पा रहे है। यह स्थिति उस समय है जब कम्प्यूटर पर करीब 700 करोड़ रुपए खर्च हो गए। सबसे पहले हेड स्टार्ट केन्द्रों के माध्यम से कम्प्यूटर पहुंचे। केन्द्रों के साथ इसके कम्प्यूटर भी कबाड़ हो गए। लगातार बदलते वर्जन के कारण इनकी खरीदी लगातार जारी है। कम्प्यूटर शिक्षा के लिए राजधानी में 18 हेड स्टार्ट केन्द्र खुले। हर केन्द्र पर कम्प्यूटर की खरीदी की गई। शिक्षकों को इनके जरिए कम्प्यूटर सिखाया गया। । बच्चों को भी एजुकेशन दी जानी थी लेकिन सभी केन्द्र बंद हो गए। इसके बाद बच्चों के लिए स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम और कम्प्यूटर लैब की शुरुआत हुई। ये सीएम राइज, पीएम श्री समेट बड़े स्कूलों में बनी। शहर और ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों के पास अब तक कम्प्यूटर नहीं है।
बच्चों के कम्प्यूटर का दफ्तरों में उपयोग
स्कूलों में जिन कम्प्यूटर को शिक्षा देने के लिए खरीदा गया उनका उपयोग दफ्तरों में हो रहा है। बाबू उन पर काम कर रहे हैं। मप्र शिक्षक संगठन के अध्यक्ष उपेन्द्र कौशल के मुताबिक अधिकांश स्कूलों में ये हाल है। बच्चों को कम्प्यूटर नहीं मिलता। कई स्कूलों में तो प्रचार्यों ने ही इन्हें अपने कब्जे में ले रखा है।
■ 93 हजार स्कूल
■ 1 करोड़ 39 लाख स्टूडेंट
इन नामों पर खरीदी
हेड स्टार्ट केन्द्र, स्मार्ट क्लास, टैबलैप, स्मार्ट क्लास रूम।
मंडल में कम्प्यूटर घोटाले की शिकायत
माध्यमिक शिक्षा मंडल में पिछले साल कम्प्यूटर की खरीदी हुई। इसमें घोटाले की शिकायत हुई। करीब 90 करोड़ में खरीदी हुई थी।
ये है असर की रिपोर्टः वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट असर के तहत प्रदेश के 91 प्रतिशत स्कूलों में कम्प्यूटर नहीं है। यानी केवल नौ प्रतिशत के पास ही इनकी उपलब्धता है। सभी का उपयोग स्टूडेंट नहीं कर पा रहे हैं।
स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा के लिए स्मार्ट क्लासेस हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लिए भी योजना है। बच्चों को कम्प्यूटर के बारे में बताने यहां ब्लॉक स्तर पर व्यवस्था की जाएगी। कई कम्प्यूटर जो पहले आए वर्जन बदलने से रिप्लेस हुए।
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