आजादी के 78 साल बाद पहली बार खरगोन जिला मुख्यालय पहुंचेगी ट्रेन, रफ्तार पर है आदिवासी बाहुल्य जिले में सर्वे का काम
Khargon To Be Connect To Rail: आदिवासी बाहुल्य जिले खरगोन जिले में रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वे का काम नर्मदा ताप्ती रेल लाईन समिति के इंजीनियरिंग राधेश्याम पाटीदार के द्वारा बनाए नक्शे के आधार पर हो रहा है. इस रेल लाइन में अलीराजपुर, धार, बडवानी, खरगोन और खंडवा पांच जिले शामिल है!
Northern Central Railway: मध्य प्रदेश का आदिवासी बाहुल्य जिला खरगोन आजादी के 78 साल में पहली बार रेलवे नेटवर्क से जुड़ने जा रहा है. रेलवे बोर्ड इन दिनों खंडवा-आलीराजपुर रेल लाइन का सर्वे तेजी से करवा रही है. तेजी हो रहे रेलवे लाइन के सर्वे ने खरगोन जिला मुख्यालय के लोगो में रेलवे से राजधानी तक सफर करने की उम्मीद बढ़ा दी है!
आदिवासी बाहुल्य जिले खरगोन जिले में रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वे का काम नर्मदा ताप्ती रेल लाईन समिति के इंजीनियरिंग राधेश्याम पाटीदार के द्वारा बनाए नक्शे के आधार पर हो रहा है. इस रेल लाइन में अलीराजपुर, धार, बडवानी, खरगोन और खंडवा पांच जिले शामिल है.
करीब सवा 6 करोड़ रुपए से हो रहा है सर्वे का काम
रिपोर्ट के मुताबिक अलीराजपुर से खरगोन तक 140 किलाेमीटर का फुट टू फुट सर्वे हो चुका है. करीब सवा 6 करोड़ रुपए से हो रहे सर्वे का काम खरगोन से खंडवा की ओर बढ़ रही है. दरअसल, लंबे समय से नर्मदा ताप्ती रेल लाइन समिति खंडवा आलीराजपुर रेल लाइन की मांग कर रही थी. रेलवे लाइन के लिए खरगोन के मांगरूल गांव के पास चल रहा है.
पहले चरण के बाद दूसरा सर्वे ड्रोन कैमरे से होगा
गौरतलब है सर्वे के दौरान सड़क, खेत और अन्य भूभागों का बारीकी से निरीक्षण किया जा रहा है. सर्वे टीम के सदस्य कैमरे के जरिए तस्वीरें लेते हैं और सभी जरूरी जानकारियां नोट करते हैं. फुट-टू-फुट सर्वे पूरा होने के बाद ड्रोन और डीजीपीएस तकनीक की सहायता से विस्तृत सर्वेक्षण किया जाएगा.
लंबे समय से नर्मदा ताप्ती रेल लाइन समिति खंडवा आलीराजपुर रेल लाइन की मांग कर रही थी. अलीराजपुर से खरगोन तक 140 किमी का फुट टू फुट सर्वे हो चुका है. अब सर्वे टीम खरगोन से खंडवा की ओर बढ़ रही है. फिलहाल, खरगोन के मांगरूल गांव के पास सर्वे चल रहा है.
रेल लाइन के रास्ते में नहीं है कोई फॉरेस्ट एरिया
सेवानिवृत्त इंजीनियर और नर्मदा ताप्ती रेल लानन समिति खरगोन के कार्यकारी अध्यक्ष राधेश्याम पाटीदार बताया कि ड्रोन और डीजीपीएस तकनीक की सहायता से विस्तृत सर्वेक्षण के बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार की जाएगी. अब तक रिपोर्ट के अनुसार रेलवे लाइन के रास्ते में छोटी पहाड़ियां तो है, लेकिन कोई फॉरेस्ट एरिया नहीं है.
Comments
Post a Comment