प्रदेश पत्रिका:- जैसे ही चुनाव करीब आते हैं। राजनीतिक पार्टियों को जनता की सुध आ जाती है और जैसे ही चुनाव खत्म हो जाते हैं। फिर एक कहावत यथार्थ होती हुई नजर आती है
"मस्त रहो मस्ती में आग लगे बस्ती में" राजनीतिक पार्टियों के नेता इस कहावत को सही साबित करने में लग जाते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण विगत लोकसभा चुनाव के
पूर्व भाजपा और कांग्रेस की जुगलबंदी के रूप में
"दीनदयाल उपाध्याय रसोई" योजना के रूप में नेपानगर के बस स्टैंड स्थित एक भवन में देखने को मिला था जहां पर नगर पालिका की वर्तमान
अध्यक्ष भारतीय विनोद पाटिल जोकि
कांग्रेस की है व
नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष राजेश चौहान जो कि
भाजपा के हैं उनकी उपस्थिति में बहुत जोर शोर से नगर पालिका के चंद्र कर्मचारी की उपस्थिति मैं इस योजना का शुभारंभ कर
गरीब बेसहारा जनता को राहत देने का दिखावा किया गया था लेकिन कुछ चंद मीना यह योजना चलने के बाद आज धरातल पर शून्य नजर आ रही है। क्योंकि उसे समय
कांग्रेस और भाजपा को लोकसभा चुनाव में वोटो की आवश्यकता थी इसलिए इस योजना के माध्यम से गरीब जनता को बेवकूफ बनाने का प्रयास किया गया था। और जैसे ही चुनाव हुए तो नगर की गरीब जनता इस
गुमशुदा हुई रसोई को ढूंढते हुए नजर आ रही है।
लेकिन सत्ताधारी दल भाजपा की विधायक, नगर पालिक अध्यक्ष और भाजपा के वह नेता जो उसे कार्यक्रम में मंच की शोभा बढ़ा रहे थे इस योजना के बंद होने पर संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
अब देखने वाली बात होगी की तीन वर्षों तक कोई भी चुनाव नहीं है तो क्या नि-स्वार्थ भावना से भाजपा और कांग्रेस के नेता इस जनहितैषी योजना को पुण: चालू करवा पाते हैं या नहीं??
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भारती विनोद पाटिल अध्यक्ष नगर पालिका परिषद |
नगर पालिका द्वारा इस योजना के अंतर्गत टेंडर बुलाए गए थे।
जल्दी कर वाकर फिर से योजना को शुरू किया जाएगा।
शैलेंद्र चौहान मुख्य नगर पालिका अधिकारी नेपानगर
मेरे आने के बाद तीन फर्म के टेंडर आए हैं हमने शासन को इन तीन फर्म के बारे में जानकारी मांगी है जैसे शासन द्वारा हमें इन तीनों फर्म के संबंध में जानकारी प्राप्त होती है तो हम योग्य फर्म को टेंडर पास करेंगे।
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