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बुरहानपुर के केले को जीआई टैग दिलाने की कवायद, उज्जैन में हुई बड़ी बैठक -

 बुरहानपुर के केले की दुनिया में होगी धाक. जीआई टैग के लिए उज्जैन में हुई अहम बैठक में यहां के केले की खूबियां बताई गईं.

बुरहानपुर के केले में मिनरल्स की भरमार

प्रदेश पत्रिका बुरहानपुर: मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक जिला बुरहानपुर मुख्य रूप से केला उत्पादन के लिए जाना जाता है. यहां करीब 26 हजार हेक्टेयर में केले की फसल लगाई जाती है. बुरहानपुर का केला खाड़ी देशों में निर्यात किया जाता है, जिसको देखते हुए करीब 2 साल पहले केला फसल के लिए जीआई टैग का आवेदन किया गया था. ऐसे में बीते गुरुवार को उज्जैन में जीआई टैग के लिए प्रेजेंटेशन बैठक आयोजित की गई।

केला के जीआई टैग के लिए हुई बैठक

इस बैठक में प्रदेश के 16 से ज्यादा जिलों के अधिकारियों को बुलाया गया था, लेकिन बैठक में 10 जिलों के अधिकारी ही शामिल हो पाए थे. बैठक में विज्ञानी और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने केले की विशेषता बताई है. इसके अलावा इस बैठक में केंद्र सरकार के अधिकारी और जीआई टैग मध्य प्रदेश के डायरेक्टर लक्ष्मीकांत दीक्षित मौजूद थे. इस दौरान विज्ञानी और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने केला की खूबियां बताई है, ताकि केला फसल को जीआई टैग मिल सके।

जिले के किसानों को मिलेगा फायदा

बता दें कि केला किसानी से जुड़े किसानों के मुताबिक बुरहानपुर की मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में कार्बन मौजूद है. यही वजह हैं कि यहां के केले में मिनरल्स पाए जाते हैं, जिसके चलते केला सहित अन्य फसलों की अच्छी पैदावार होती है. यदि, बुरहानपुर की केला फसल को जीआई टैग मिलता है, तो निश्चित रूप से केला के एक्सपोर्ट में वृद्धि होगी. इससे केला उत्पादक किसानों को लाभ होगा, उन्हें केला फसल के बेहतर दाम मिलेंगे. इसके अलावा केला फसल को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।

केले की खेती की ऐसे हुई थी शुरुआत

बुरहानपुर जिले में सबसे पहले 1960 में 5 एकड़ में केला की फसल लगाई गई थी. इसके बाद केले की फसल के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा, जिले के किसानों ने बढ़चढ़ कर केला की फसल को अपनाया. वर्तमान में करीब 16 हजार किसान केले की फसल लगाते हैं. लगातार केले की फसल के रकबे में बढ़ोतरी हो रही है।


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