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करीला धाम में लगा रंगपंचमी का मेला, सीएम मोहन यादव करेंगे शिरकत, जानिए इसकी ख़ासियत

 


चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। जिसे मध्य प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। आज यानी 19 मार्च को रंग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और उनके साथ होली मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान स्वयं पृथ्वी में आकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इसे देव पंचंमी भी कहते हैं।

मध्य प्रदेश की फेमस है रंगपंचमी

रंगपंचमी का पर्व मध्य प्रदेश में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। प्रदेश के ज़्यादातर शहरों में इस दिन फाग यात्रा निकाली जाती है जिसमें पारंपरगत तौर पर अबीर - गुलाल उड़ाया जाता है। यहां के शहरों में इस दिन सरकारी अवकाश भी घोषित किया जाता है। इंदौर में रंग पंचमी के दिन भव्य गेर उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव को देखने के लिए दूर -दूर से लोग आते हैं। वहीं, करीला धाम में मेला लगता है जिसमें लाखों श्रध्दालु हर साल पहुंचते हैं।

क्या है करीला धाम?

अशोकनगर जिले के करीला में स्थित इस धाम को मां जानकी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां देश की एक मात्र सीता माता मंदिर है। यहां माता सीता बिना भगवान राम के बिराजमान हैं। यहां रंगपंचमी के समय लगने वाले इस तीन दिवसीय मेले को देखने ख़ुद सीएम मोहन यादव पहुंचेंगे। मेले के सुरक्षा के लिए 250 सीसीटीवी कैमरा और 2500 पुलिस जवान तैनात किए गए हैं।

मेले में मिलती है चमत्कारी कड़ाही

मेले में बिकने वाली लोहे की कढ़ाई को लेकर मान्यता है कि ये चमत्कारी होती हैं। इन कढ़ाई में तेल कम खर्च होता है। यही कारण है कि यहां की कढ़ाई को खरीदने के लिए लोगों की भीड़ लगती है। जानकारी के मुताबिक़ हर साल यहां से क़रीब 30 लाख से अधिक रूपए की कढ़ाई बिकती है।

फेमस है यहां का नृत्य

बता दें यहां का राई नृत्य दुनिया भर में फेमस है। मान्यता है कि इसी धाम में माता सीता ने लव-कुश को जन्म दिया था। माता सीता ने महर्षि वाल्मिकी से अपने बच्चों का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाने का अनुरोध किया था। तब स्वर्ग से अप्सराएं आईं और उन्होंने नृत्य किया। यह परंपरा आज भी जारी है। इस दौरान हजारों नृत्यांगनाएं राई नृत्य प्रस्तुत करती हैं।


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