आइडीए ने ऑनलाइन पोर्टल तैयार कर दिया है। लीज रिन्यूअल, फ्री होल्ड और नामांतरण जैसे प्रकरणों के आवेदन पोर्टल से ही भरे जाएंगे।
प्रदेश पत्रिका इंदौर विकास प्राधिकरण (आइडीए) में अब तक संपत्तिधारक को कोई भी काम कराने के लिए दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब ऐसा नहीं होगा, आइडीए ने ऑनलाइन पोर्टल तैयार कर दिया है। लीज रिन्यूअल, फ्री होल्ड और नामांतरण जैसे प्रकरणों के आवेदन पोर्टल से ही भरे जाएंगे। जो नहीं भर सकते हैं उनके लिए आइडीए में ही एक टेबल लगाई जाएगी।
धीरे-धीरे सरकारी महकमा डिजिटलाइजेशन पर जा रहा है, जिससे आम जनता को परेशानी से बचाया जा सके और काम में पारदर्शिता भी रहे। इसके चलते कलेक्टर आशीष सिंह ने कॉलोनी सेल का काम भी ऑनलाइन कर दिया, जिसमें विकास अनुमति और कॉलोनाइजर लाइसेंस के आवेदन किए जा सकते हैं। फाइल कहां अटकी है और किसने अटका रखी है ये सबकुछ ऑनलाइन नजर आएगा।
खोला जाएगा सहायता केंद्र
आइडीए सीईओ आरपी अहिरवार ने बताया, सोमवार सुबह 10 बजे अध्यक्ष व संभागायुक्त दीपक सिंह की मौजूदगी में पोर्टल को शुरू किया जाएगा। 31 मार्च तक ट्रायल पर रहेगा, जिससे आने वाली समस्या को ठीक कर अप्रेल से लागू किया जाएगा। जो ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते है उनके लिए सहायता केंद्र बनाया जाएगा जिस पर कर्मचारी मौजूद रहेंगे। आने वालों के आवेदन खुद भरेंगे।
लंबित हैं दो हजार केस
पिछले दो साल में आइडीए ने मुहिम चलाकर लीज नवीनीकरण व फ्री हेल्ड के केस बड़ी संख्या में निपटाए गए। नामांतरण का आंकड़ा मिलाकर 38 हजार की संख्या हो गई है और सभी को डिजिटलाइज्ड कर दिया गया है। अब दो हजार केस ही लंबित हैं। इसके बाद आइडीए पूरे दस्तावेजों को डिजिटलाइज्ड करने जा रहा है ताकि फाइल के घूमने और चोरी होने की घटनाएं खत्म हो जाएं। हालांकि, प्रारंभिक तौर पर फाइलों का कोडिंग कर दिया है। इससे पता चल जाता है कि वह किसके पास कब से है।
आवेदन के बाद फाइल खुद-ब-खुद आगे बढ़ेगी
आइडीए ने भी ऑनलाइन पोर्टल तैयार कर लिया है। आवेदक को वर्तमान में लीज रिन्यूअल, फ्री होल्ड और नामांतरण का आवेदन करने के लिए आइडीए आना पड़ता था। काम करने के लिए आठ से दस चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन इस प्रक्रिया से उन्हें मुक्ति मिल जाएगी। ऑनलाइन आवेदन के बाद फाइल खुद-ब-खुद आगे बढ़ेगी। इंजीनियर को समय सीमा में रिपोर्ट लगानी होगी तो संपदा अधिकारी को निराकरण करना होगा।
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