मध्य प्रदेश सरकार ने 20 साल बाद फिर से परिवहन सेवा शुरू करने का फैसला किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा को कैबिनेट में मंजूरी मिल गई है। यह बस सेवा पीपीपी मॉडल पर चलाई जाएगी और इसके लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाई जाएगी।
2005 में सड़क परिवहन निगम में की गई थी तालाबंदी
गौरतलब है कि भाजपा की बाबूलाल गौर सरकार ने ही वर्ष 2005 में साढ़े चार सौ करोड़ के घाटे में चल रहे राज्य सड़क परिवहन निगम में तालाबंदी की थी, तब से प्रदेश में परिवहन सेवाएं ठप हैं। केवल मुनाफे के मार्ग पर ही निजी बसें चलाई जा रही हैं। नई सेवाएं पहले आदिवासी अंचलों से आरंभ होगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में हुई मंत्रिपरिषद (कैबिनेट) की बैठक में मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा प्रारंभ करने की स्वीकृति दी गई। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि हमने चुनाव के समय घोषणा की थी गरीबों को सुगम ट्रांसपोर्ट उपलब्ध कराएंगे।
इस बार मॉडल बदला है
परिवहन सेवा को पिछली सरकारों ने बंद कर दिया था, हमने परिवहन नीति बनाई है और इस बार मॉडल बदला है। हम पीपीपी मॉडल पर बसें चलवाएंगे। इसके लिए जिला स्तरीय समिति गठित की जाएगी। इसके समन्वयक कलेक्टर रहेंगे। समिति में जिले के सांसद, समस्त विधायकगण, महापौर, अन्य जनप्रतिनिधि और अधिकारी रहेंगे।
यह समिति बसों के संचालन की मॉनिटरिंग, संचालन, साधारण एवं ग्रामीण मार्गों पर बस स्टाप, चार्जिंग स्टेशन के निर्माण संबंधी सुझाव के साथ जिले के बस ऑपरेटर्स के मध्य आवश्यक समन्वय का कार्य करेगी। बस का उपयोग कार्गो सेवा के लिए भी किया जाएगा, नीति में इसका प्रविधान किया जाएगा। राज्य परिवहन निगम की संपत्तियां कंपनी के आधिपत्य में रहेगी।
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