मध्यप्रदेश के छह शहरों में 582 ई-बसों का संचालन जल्द शुरू करने की तैयारी चल रही है।
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582 e-buses will run in MP |
प्रदेश पत्रिका:- मध्यप्रदेश के छह शहरों में 582 ई-बसों(E-Bus) का संचालन जल्द शुरू करने की तैयारी चल रही है। लेकिन इन बसों का संचालन नगरीय निकायों को महंगा पड़ सकता है क्योंकि इनके संचालन के लिए जीसीसी यानी ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रेक्ट मॉडल अपनाया गया है। इसमें इलेक्ट्रिक बस, ड्राइवर, कंडक्टर और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी संबंधित कंपनी की ही रहेगी। सरकार केवल प्रति किलोमीटर के हिसाब से उसे भुगतान करेगी। प्रतिदिन न्यूनतम 180 किलोमीटर का भुगतान किया जाएगा। इंदौर में अभी एक एजेंसी 65 रुपए प्रति किलोमीटर की दर से ई-बसें संचालित कर रही है।
यदि नई ई-बसों का कॉन्ट्रेक्ट 60 रुपए प्रति किलोमीटर में होता है तो एक बस को 180 किमी का प्रतिदिन 10800 रुपए का भुगतान होगा, चाहे उसमें सवारियां बैठे या नहीं। इस प्रकार बसों का संचालन करने वाली एजेंसी को 582 बसों का प्रतिदिन 62 लाख 85 हजार 600 रुपए मिलेगा। एक महीने में यह राशि 18 करोड़ 85 लाख 68 हजार रुपए होगी।
टेंडर जारी
पीएम ई-बस योजना के तहत प्रदेश के 6 शहरों इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर में ई-बसें चलाई जाएंगी। इसके लिए कंपनी की तलाश शुरू हो गई है। रेट तय करने के लिए सरकार ने टेंडर जारी किया है। जो कंपनी सबसे कम रेट देगी उसे संचालन का काम मिलेगा। यह सुविधा तीन माह के अंदर शुरू करने की तैयारी की जा रही है। कुल 582 ई-बसें चलेंगी। इनमें से 472 बसें नौ मीटर वाली होंगी जिनमें लगभग 32 सीट होंगी। जबकि 110 बसें सात मीटर वाली होंगी जो 21 सीटर होंगी।
कहां कितनी ई-बसें चलेंगी
भोपाल – 100
इंदौर – 150
जबलपुर – 100
उज्जैन – 100
ग्वालियर – 100
सागर – 32
टिकट एजेंसी का जिम्मा निकाय का
इन बसों के चार्जिंग की व्यवस्था भी मिलजुलकर की जा रही है। चार्जिंग स्टेशन और डिपो राज्य सरकार बनवाएगी। इसकी 60 फीसदी राशि केन्द्र और 40 प्रतिशत राशि राज्य को देना होगी। सरकार सिर्फ जमीन और इंफ्रा विकसित करेगी। चार्जिंग गन बसों का संचालन करने वाली कंपनी ही लगाएगी और बिजली का बिल भी कंपनी ही चुकाएगी। ऐसे 11 चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। जबकि टिकटिंग एजेंसी संबंधित निकाय द्वारा तय की जाएगी। टिकट का पैसा निकाय के पास जाएगा, इसी से बसों का भुगतान होगा।
केंद्र 12 साल तक राशि देगी
बसों के संचालन के लिए प्रति किलोमीटर के अनुसार भुगतान होगा। इसके लिए केंद्र सरकार प्रति किलोमीटर के अनुसार 22 रुपए देगी। केंद्र यह राशि 2037 तक यानी 12 साल तक देगी। जो राशि बचेगी वह किराए से कवर होगी। जहां किराए से कवर नहीं हो पाएगी उसका भुगतान संबंधित नगरीय निकाय को करना होगा।
तीन महीने का अग्रिम भुगतान
केंद्र ने इसकी भी पुख्ता व्यवस्था की है कि ई-बसों को नियमित भुगतान होता रहे। इसके लिए बैंक में एक एस्क्रो अकाउंट खुलवाया जाएगा। इसमें राज्य सरकार को कम से कम तीन माह का एडवांस पेमेंट जमा कराना होगा। यदि निकाय भुगतान करने में विफल रहते हैं तो इस अकाउंट में से संचालनकर्ता कंपनी को भुगतान हो जाएगा।
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