देवास जिले में नरवाई जलाने पर लगातार कार्रवाई जारी – देवास जिले में नरवाई जलाने की घटनाओं की रोकथाम हेतु राजस्व एवं कृषि विभाग द्वारा लगातार पंचायत स्तर पर सेटेलाईट से मॉनिटरिंग की जा रही है। क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारियों द्वारा किसानों को प्रचार-प्रसार के माध्यम से फसल अवशेष में आग न लगाने हेतु जागरूक किया जा रहा है।
उप संचालक कृषि श्री गोपेश पाठक
ने बताया कि नरवाई जलाने से दुष्परिणाम होते हैं। उन्होंने बताया कि नरवाई जलाने से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ एवं पोषक तत्वों की कमी होती है। मिट्टी में मौजूद केंचुआ एवं सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं साथ ही मिट्टी के कठोर होने से जल धारण क्षमता में कमी हो जाती है एवं जुताई करना मुश्किल हो जाता है। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी के आदेश अनुसार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत फसल कटाई उपरांत नरवाई में आग लगाए जाने की घटना को प्रतिबंधित किया गया है। आदेश उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत नरवाई जलाने वाले किसानों को चिन्हित कर कार्यवाही की जा रही है।
श्री पाठक ने बताया कि इसके
अंतर्गत जिले में अभी तक 7 प्रकरणों में एफआईआर दर्ज की जाकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की निर्देशिका अनुसार पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि के रूप में नरवाई जलाने पर कुल 327500 रुपए का आर्थिक दण्ड लगाया गया है, जिसमें टोंकखुर्द विकासखण्ड में 3 एफआईआर दर्ज होकर 60000 रुपए का जुर्माना, देवास में 4 एफआईआर कर 138500 रुपए का अर्थदंड, बागली में 36500 रुपये का अर्थदंड खातेगांव विकासखंड में 35000 का अर्थदण्ड, कन्नौद में 35000 रुपए तथा सोनकच्छ विकासखण्ड में 22500 रुपए का जुर्माना अधिरोपित किया गया। जिले के किसानों से अपील है कि वे अपने खेतों में फसल अवशेष प्रबंधन की तकनीकों का उपयोग करें एवं नरवाई न जलाएं तथा होने वाली अप्रिय कार्यवाही से बचें ।
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