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एमपी के पुलिस अधिकारी की करतूत उजागर, कलेक्टर ने गृह विभाग को भेजा कच्चा चिट्ठा

 Amitabh Singh- कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश का गृह विभाग कार्रवाई कर सकता है।

Burhanpur SI Amitabh Singh’s caste certificate is fake


Amitabh Singh- एमपी के एक पुलिस अधिकारी की सालों पुरानी करतूत उजागर हो गई है। कलेक्टर ने गृह विभाग को उसका कच्चा चिट्ठा भेज दिया है। बुरहानपुर में एसआई के रूप में पदस्थ अमिताभ प्रताप सिंह उर्फ अमिताभ थियोफिलस फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर पुलिस विभाग में भर्ती हुआ था। जबलपुर के कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने शिकायत के बाद उसकी जांच करवाई तो यह तथ्य उजागर हुआ। अब कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश का गृह विभाग एसआई अमिताभ थियोफिलस पर कार्रवाई कर सकता है।

अमिताभ ने खुद को जबलपुर के नेपियर टाउन का निवासी बताकर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया। इसके आधार पर आरक्षण का लाभ लेकर पुलिस विभाग में भर्ती हो गया। वह 25 साल से मध्यप्रदेश पुलिस में नौकरी कर रहा है। जांच में सामने आई कि अमिताभ असल में ईसाई है पर उसने गौंड़ समाज का जाति प्रमाण पत्र बनवाकर खुद को आदिवासी बताकर सरकारी नौकरी पा ली।

एसआई अमिताभ सिंह लोगों के सामने खुद को राजपूत बताता था। सन 2019 में भी उसके जाति प्रमाण पत्र के फर्जी होने की शिकायत की गई थी लेकिन तब कोई जांच नहीं हुई। 2024 को भोपाल निवासी प्रमिला तिवारी ने अमिताभ सिंह की फर्जी जाति प्रमाण पत्र की कमिश्नर ट्राइबल से फिर से शिकायत की।

विभाग ने अमिताभ सिंह के प्रमाणपत्र की जांच के लिए जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना को पत्र भेजा। कलेक्टर ने एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी को जांच सौंपी जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में अमिताभ सिंह के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताया।

अमिताभ थियोफिलस ने 1 जुलाई 1980 को कक्षा पहली में दाखिला लेते समय धर्म ईसाई और जाति गोंड एसटी लिखवाई। एसडीएम ने अपनी जांच में पाया कि अमिताभ के रीति रिवाज, संस्कृति गोंड जनजातियों के अनुसार नहीं थे। उनका कोई भी रिश्तेदार भी गोंड जनजाति का नहीं है। उसने गलत जानकारी के आधार पर 1997-98 में गोंड जनजाति का प्रमाण पत्र बनवाया। एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी ने अमिताभ सिंह का जाति प्रमाण निरस्त करने और उसके खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की है।


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