मध्य प्रदेश के मैहर जिले में बड़ी संख्या में किसान जनसुनवाई में पहुंचे, लेकिन यहां पैदल या या किसी वाहन से नहीं, बल्कि वो दंडवत तरीके से पहुंचे थे. यहां उन्होंने अपनी समस्या को रखा.
प्रदेश पत्रिका:- सिंघाड़ा उत्पादन कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले दर्जनों किसान मंगलवार को जनसुनवाई में दंडवत परिक्रमा करते हुए पहुंचे. अनोखे तरीके से आवेदन लेकर पहुंचे किसानों ने अपनी पीड़ा जिला प्रशासन के अधिकारियों के सामने रखी. फिलहाल एक बार फिर उन्हें आश्वासन देकर विदा किया गया है, लेकिन समस्या का समाधान कब होगा कुछ कहा नहीं जा सकता।
दरअसल, हुआ यह कि मैहर जिले के रामनगर इलाके में रहने वाले दर्जनों गांव के किसान सिंघाड़ा का उत्पादन करते हैं. बरसात के मौसम में होने वाली फसल बीमारी के चलते नष्ट हो गई, जिसके बाद जिला प्रशासन ने सर्वे किया. सर्वे रिपोर्ट के आधार पर किसानों को सहायता दिए जाने का भरोसा दिया गया.
लगभग एक साल बीतने के बाद भी उन्हें कोई सहायता राशि नहीं मिल सकी. इसी बात से परेशान होकर किसानों का दल कलेक्टर मैहर के यहां जनसुनवाई में पहुंच गया.
नजारा देखकर अफसर हैरान
किसान अपना आवेदन लेकर दंडवत परिक्रमा करते हुए जनसुनवाई में पहुंचे, जिसे देखकर सभी अधिकारी हैरान रह गए. किसानों का यह रूप देखकर तमाम प्रशासनिक अधिकारी उनके पास पहुंचे. अधिकारियों ने किसानों से बातचीत की, तब उन्हें प्रकरण की असलियत का पता चला.
नियमों की पेंच में फंसी सहायता
मैहर एडीएम शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि सिंगरहा समाज से आने वाले किसान मुख्य रूप से सिंघाड़े की खेती करते हैं. फसल का नुकसान हुआ था. कृषि विभाग की सर्वे रिपोर्ट प्राप्त होने पर फाइल को आगे बढ़ाया गया, लेकिन राजस्व पुस्तक परिपत्र में जिन फसलों की क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है उस सूची में सिंघाड़ा की फसल शामिल नहीं है. ऐसे में राज्य सरकार को पत्र लिखा गया. चूंकि मंजूरी का इंतजार है, ऐसे में सहायता राशि नहीं दी जा सकी. फिर से पत्राचार किया गया है, ताकि इनकी मदद की जा सके.
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