इंदौर के करीब कुछ ऐसे टूरिस्ट स्पॉट हैं, जो चिलचिलाती गर्मी के दिनों में भी सुकून का अहसास कराते हैं। शहर से करीब 70 किमी दूर ऐसी ही एक जगह है तरानिया गांव और उसके पास बहने वाली कनाड़ नदी। यहां पहुंचने का रास्ता भी बहुत खूबसूरत है।
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कनाड़ नदी और उसके आसपास फैली हरियाली का सुंदर नजारा। |
Indore New Tourist Destination)। इस चिलचिलाती गर्मी में यदि कोई आपसे कहीं सैर-सपाटे के लिए चलने को कहे तो आपके जेहन में जो प्रश्न सबसे पहले उठेंगे वह शायद यही होंगे कि ‘जहां जा रहे हैं वहां गर्मी ज्यादा तो नहीं होगी, ठंडक के लिए वहां क्या इंतजाम होंगे, कितना लंबा सफर होगा, कब जाएंगे और कब लौटकर आएंगे इसके अलावा वहां देखने लायक क्या-क्या होगा...’।
इन सब सवालों का संतुष्टीकारक उत्तर का एक ही नाम है ‘तरानिया गांव और उसके आसपास का परिवेश’। अब आप सोचेंगे कि भला इस गांव और उसके आसपास ऐसी क्या खूबी है जो गर्मी में भी पर्यटन प्रेमियों को रिझा रही है तो उसका उत्तर है गांव से थोड़ी ही दूर बहने वाली ऐसी नदी जिसे किसी भी वाहन से पार किया जा सकता है और उथली इतनी कि जलीयजीव साफ देखे जा सकें बावजूद उसमें वर्षभर पानी रहता है।
इंदौर से 70 किमी दूर
इस बार की यात्रा एक ऐसे स्थान की यात्रा है जो हर किसी के लिए रोचक साबित हो सकती है। जो प्रकृति प्रेमी हैं उन्हें भी यहां के नजारे आकर्षित करते हैं और जो रोमांचक सफर में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए भी यह स्थान मुनासिब है।
जिनकी रुचि राइडिंग में है उनके लिए भी यह बेहतर विकल्प है और जो भगवान में आस्था रखते हैं उनके लिए भी मार्ग में कई मंदिर बने हुए हैं। इंदौर से तरानिया के सफर की बात करते हैं तो इसके लिए आपको करीब 70 किमी की दूरी तय करना होगी।
तरानिया गांव तक ऐसे पहुंचे
इंदौर से चोरल-सिमरोल की ओर आगे बढ़ने पर मार्ग में शनिमंदिर बना हुआ है। शनि मंदिर के बाद ओखलेश्वर मठ जाने का मार्ग नजर आएगा। इस मार्ग पर चलकर काटकूट के जंगल वाला मार्ग लेना होगा। यहां वन विभाग द्वारा बेरियर लगाए हुए हैं। इसे पार करते हुए तरानिया गांव तक पहुंचा जा सकता है। यह पहला रास्ता है।
बड़वाह के पास से जाता है दूसरा रास्ता
यदि आप इस रास्ते से नहीं जाना चाहते तो एक और रास्ता यहां तक पहुंचाता है। यह रास्ता बड़वाह शहर से ठीक पहले बाईं मुड़ती सड़क से जाता है जो काटकूट होते हुए तरानियां तक पहुंचाएगा। पर रोमांच और मंजिल अभी बाकी है। तरानिया तक तो बेहतरीन सड़क बनी हुई है, लेकिन इसके बाद का सफर आपको पैदल ही तय करना होगा जो कि वर्ष भर बहने वाली नदी तक ले जाता है।
बेहद साफ है नदी का पानी
यूथ होस्टल एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष अशोक गोलाने बताते हैं कि तरानिया से नदी की दूरी ढ़ाई-तीन किमी है। हरियाली के बीच पगडंडी से यहां पहुंचा जा सकता है। यह रास्ता ट्रैकिंग करने वालों को पसंद आता है क्योंकि यहां किसी तरह की चोट लगने का भी खतरा नहीं और उबड़ खाबड़ रास्ते पर चलने का अपना ही आनंद है।
बात अगर नदी की करें तो यह कहीं तो बेहद उथली है और कहीं गहरी। अब कहां गहरी और कहां उथली है इसकी जानकारी तो आप ग्रामीणों से ही लें तो बेतहर है। मगर जहां उथली है वहां नदी में बैठ आप नहाने का भी आनंद ले सकते हैं। यहां का पानी इतना साफ है कि कई बार तो जलीय जीव भी नजर आ जाते हैं। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें की शरीर और मन दोनों को ही सुकून देने वाली इस नदी का नाम कनाड़ है।
दर्शन का भी ले सकते हैं लाभ
यह तो बात हुई प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने, उसका आनंद लेने और ट्रैकिंग की इच्छा पूरी करने की, लेकिन यदि आप धार्मिक स्थलों के दर्शनलाभ की भी इच्छा रखते हैं तो मार्ग में स्थित शनि मंदिर और फिर ओखलेश्वर धाम में हनुमानजी और शिवजी के दर्शन कर सकते हैं। इसकी अलग ही अनुभूति होती है।
इन बातों पर दें ध्यान
यदि आप यहां आप जा रहे हैं तो शाम होने से पहले गांव में आ जाएं क्योंकि ग्रामीणों के अनुसार रात में कई वन्यप्राणी नदी किनारे आते हैं। साथ ही नदी के किनारे पर ही रहें। इस स्थान की सैर करने जाने वाले अपने साथ खानपान की सामग्री लेकर जाएं क्योंकि वहां आपको खाने को कुछ नहीं मिलेगा। वैसे सुबह-सुबह यहां जाना ज्यादा बेहतर होगा ताकि गर्मी बढ़ने से पहले आप लौट भी आएं। चूंकि यह प्राकृतिक स्थल है इसलिए वहां किसी तरह का प्रदूषण नहीं करें।
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