भोपाल: मध्य प्रदेश में मार्कफेड, सोसाइटियां 10 वर्षों से कर रहीं उर्वरक का अवैध व्यापार – मध्य प्रदेश में कृषि विभाग, सहकारी समितियांं एवं मार्कफेड के बीच कोई बड़ी मिली भगत चल रही है जिसके चलते कृषि विभाग भारत सरकार के नियमों को मध्य प्रदेश में लागू करने से कतरा रहा है। सभी सोसाइटियों एवं मार्कफेड के विक्रय स्थल पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए शैक्षणिक योग्यता वाले व्यक्तियों को नियोजित किया जाना अनिवार्य है, परन्तु ऐसा नहीं हुआ है, बिना शैक्षणिक योग्यता वाले व्यक्ति धड़ल्ले से उर्वरक व्यापार कर रहे हैं। यदि योग्य व्यक्ति रखते हैं तो प्रदेश में लगभग 8 हजार सोसाइटियों पर बीएससी किए हुए व्यक्तियों को रोजगार दिया जा सकता था लेकिन कृषि विभाग एवं सोसाइटियों की मिली भगत से यह अवसर खो दिया गया है। आज भी सरकार चाहे तो कृषि विज्ञान में स्नातक या डिग्रीधारी 8 हजार लोगों को मध्य प्रदेश में रोजगार दिया जा सकता है।
भारत सरकार द्वारा लगभग 10 वर्ष पूर्व 10 अक्टूबर 2015
को जारी गजट के माध्यम से यह प्रावधान किया है कि फर्टिलाइजर का व्यवसाय करने वाला कोई भी व्यक्ति केमिस्ट्री या बायोलॉजी में स्नातक की डिग्री धारी हो या 48 सप्ताह का देसी डिप्लोमा कोर्स धारक हो 6 माह का कोर्स किया हुआ हो या 30 जुलाई 2018 के प्रावधान के अनुसार 15 दिवसीय इंटीग्रेटेड न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट का सर्टिफिकेट कोर्स किया हुआ व्यक्ति उर्वरक का व्यवसाय कर सकता है। और उसी गजट में यह भी है कि समिति एवं मार्कफेड में ऐसे डिप्लोमा धारी व्यक्तियों को नियोजित किया जाएगा ।
इस नियम को लागू हुए
लगभग 10 साल हो चुके हैं लेकिन मप्र के किसी भी जिले में अब तक किसी भी सोसाइटी या मार्केफेड के गोदाम पर शैक्षणिक योग्यता धारी व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की गई है।
इस अनियमितता पर मध्य प्रदेश कृषि आदान विक्रेता संघ के प्रदेश सचिव श्री संजय कुमार रघुवंशी ने बताया कि उन्होंने 5 फरवरी 2025 को सभी 52 जिलो में उप संचालक कृषि को आरटीआई के माध्यम से जानकारी भी मांगी थी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। कुछ जिलों में सम्बंधित अधिकारी स्वीकारते हैं कि यदि यह जानकारी आपको ऑफिशियल रूप से दे दी तो हमारी नौकरी पर आ जाएगी क्योंकि विभाग पिछले 10 सालों से यह अवैध व्यापार करवा रहा है।
उक्त मामले में म.प्र. शासन कृषि विभाग भोपाल द्वारा सभी उपसंचालक कृषि को 27 मई 2017 को पत्र जारी किया गया था जिसमें उल्लेख है कि योग्यता रखने वाले व्यक्ति को समितियों में नियोजित करेंगे।
श्री रघुवंशी ने बताया कि
इन्हीं प्रावधानों के अनुसार पिछले 10 सालों से मध्य प्रदेश में निजी व्यापारियों को उर्वरक विक्रय हेतु लाइसेंस जारी किया जा रहे हैं लेकिन सोसाइटियों को इन्हीं प्रावधानों से अवैध रूप से छूट दी जा रही है एवं उनके लाइसेंस बार-बार रिन्यूअल किए जा रहे हैं
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश
में पिछले 10 सालों से उन सोसाइटियों से उर्वरकों का व्यापार करवाया जा रहा है जिनके पास 40 प्रतिशत किसान सदस्य है उनमें से भी 50 प्रतिशत डिफाल्टर है। मतलब यह कि प्रदेश के सिर्फ 20 प्रतिशत किसानों के लिए 75 प्रतिशत उर्वरक आवंटित किया जा रहा है और 80 प्रतिशत किसान जो कि निजी व्यापारियों पर निर्भर हैं उनके लिए सिर्फ 25 प्रतिशत आवंटित किया जा रहा है। प्रदेश में 75 प्रतिशत यूरिया एवं अन्य खाद जिन सोसाइटियों के माध्यम से विक्रय करवाया जाता है, उन्ही सोसाइटियों द्वारा भारत सरकार के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।
इस मामले में कृषक जगत ने उच्च अधिकारियों से बातचीत करने का प्रयास किया, परन्तु वे अनाधिकृत रूप से कुछ भी कहने में कतरा रहे हैं।
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