इंदौर के राजबाड़ा पर भीख मांगने वाले देवव्रत 10 लाख के मालिक हैं, इंजीनियर हैं, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं]
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आपातकाल के दौरान जेल गए, इंदौर प्रशासन ने ससम्मान वापस बुलाया |
उज्जैन। इंदौर में कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा भिक्षुक मुक्त अभियान जोर-शोर से चलाया जा रहा है। वहां के अनगिनत भिखारी उज्जैन भेजे जा चुके हैं। इनमें से कई भिखारी अंबोदिया स्थित सेवाधाम आश्रम में शरण लिए हुए हैं। एक भिखारी ऐसे भी हंै, जो लखपति हैं। उनके पास १० लाख रुपए हैं। आपातकाल के दौरान जेल गए थे। इसलिए मीसाबंदी की प्रतिमाह ३० हजार रुपए पेंशन मिल रही हैं। इतना ही नहीं वे मैकेनिकल इंजीनियर हैं। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं, उन्हें भीख मांगने में कतई शर्म नहीं आती, इनका नाम है देवव्रत चौधरी।
72 वर्षीय चौधरी गांधीवादी नेता विनोबा भावे के साथ भी रह चुके हैं। उन्होंने मुंबई की बड़ी कंपनियों में काम किया। इसके बाद भी राजबाड़ा स्थित मंदिर में भीख मांगने का काम कर रहे थे। उनके एक भाई कर्नल और दूसरे बैंक में अधिकारी रहे हैं।
१५ अप्रैल को १३ भिक्षुकों के साथ इंदौर से सेवाधाम आश्रम भेजा था
श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस कॉलेज इंदौर से मैकेनिकल ब्रांच से इंजीनियरिंग करने वाले इंदौर निवासी देवव्रत चौधरी भीख मांग कर गुजारा कर रहे थे। वे रोजाना की तरह मंदिर में भीख मांग रहे थे। इंदौर को भिक्षावृत्ति से मुक्त अभियान के तहत उन्हें राजबाड़ा के पास मंदिर से उठाया और उज्जैन पहुंचा दिया। इसके बाद से ही वे सेवाधाम आश्रम में रह रहे हैं। इंदौर से अब तक भिक्षावृत्ति करने वाले 425 लोग आश्रम पहुंचाए गए हैं। देवव्रत चौधरी 1975 में इंजीनियरिंग करने के दौरान
एसजीआईटीएस कॉलेज में प्रेसिडेंट भी रहे। उन्होंने शादी नहीं की है। मुंबई में बड़ी कंपनियों में इंजीनियर के पद पर नौकरी की।
श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस कॉलेज इंदौर से मैकेनिकल ब्रांच से इंजीनियरिंग करने वाले इंदौर निवासी देवव्रत चौधरी भीख मांग कर गुजारा कर रहे थे। वे रोजाना की तरह मंदिर में भीख मांग रहे थे। इंदौर को भिक्षावृत्ति से मुक्त अभियान के तहत उन्हें राजबाड़ा के पास मंदिर से उठाया और उज्जैन पहुंचा दिया। इसके बाद से ही वे सेवाधाम आश्रम में रह रहे हैं। इंदौर से अब तक भिक्षावृत्ति करने वाले 425 लोग आश्रम पहुंचाए गए हैं। देवव्रत चौधरी 1975 में इंजीनियरिंग करने के दौरान एसजीआईटीएस कॉलेज में प्रेसिडेंट भी रहे। उन्होंने शादी नहीं की है। मुंबई में बड़ी कंपनियों में इंजीनियर के पद पर नौकरी की।
11 गांव में गैस प्लांट बनाए
1980 में गांधीवादी नेता विनोबा भावे के साथ जुड़े और 11 गांव में गैस प्लांट बनाए। करीब 35 वर्षों तक विनोबा भावे के आश्रम में रहने के बाद वे इंदौर में कुलकर्णी भट्टे में 3500 रुपए महीने के किराए पर मकान में रहने लगे। इमरजेंसी के समय वे जेल में रहे। घर में दो भाई एक कर्नल और दूसरा यूको बैंक में मैनेजर था। दोनों में से एक इंदौर में तो एक अमेरिका में रह रहा है। एक भतीजा भी अमेरिका में काम कर रहा है।
इंदौर कलेक्टर को हकीकत पता चली तो बुलाया-गोयल
सेवाधाम के आश्रम के संचालक सुधीर भाई गोयल ने अक्षरविश्व से चर्चा कर बताया कि 15 अप्रैल को इंदौर प्रशासन द्वारा १३ भिक्षुकों को आश्रम भेजा गया। उनमें देवव्रत भी थे। मैले-कुचेले कपड़े पहने हुए थे। उनके पास एक प्लास्टिक की थैली थी जिसमें कुछ कपड़े थे। जब बातचीत की गई तब उनके बारे में काफी कुछ पता चला। १४ मई की शाम को महिला बाल विकास विभाग की ज्वाइंट डायरेक्टर का आश्रम में फोन आया। बताया की इंदौर प्रशासन ने देवव्रत को पुन: इंदौर बुलाया है। लिहाजा वे लोग कार उन्हें इंदौर ले गए। जाते समय आश्रम की ओर से देवव्रत का पगड़ी पहनाकर स्वागत किया। उन्हें शपथ दिलाई गई। अब वे भीख नहीं मांगेंगे। इंदौर प्रशासन उन्हें उनके परिवार से मिलवाएगा। बताया की १३ मई तक आश्रम में ५३९ भिक्षुक आए थे। वर्तमान में ८० भिक्षुक यहां शरण लिए हुए है। बाकि उनके परिवार से मिलवा दिया गया है।
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