प्रदेश पत्रिका बुरहानपुर। गुरूवार को विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) सहित जनप्रतिनिधियों ने विकसित कृषि संकल्प अभियान-2025 का शुभारंभ किया। अभियान को लेकर कलेक्टर कार्यालय सभाकक्ष में हुई समीक्षा बैठक में श्रीमती चिटनिस ने विस्तृत चर्चा करते हुए कार्ययोजना पर चर्चा की और अधिकारियों आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस अवसर पर ‘‘कृषि यात्रा‘‘ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल, वीरेन्द्र तिवारी, किशोर पाटिल, योगेश महाजन, देवानंद पाटिल, नितीन महाजन सहित अन्य जनप्रतिनिधि व अधिकारीगण उपस्थित रहे।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की संकल्पना अनुरूप हम हमारी कृषि पद्धति में तकनीक और परंपरा के ज्ञान का भरपूर उपयोग करें ऐसा हमारा प्रयास हो। आज से शुरू होे रहे ‘‘विकसित कृषि संकल्प अभियान‘‘ के माध्यम से हमारे क्षेत्र के किसानों को वैज्ञानिक खेती के साथ-साथ जल संचय हेतु प्रेरित करना है। क्योंकि हमारे क्षेत्र में पानी जमीन में काफी नीचे चला गया है जो भविष्य के चिंता का विषय है। इसलिए हमारी पारंपरिक खेती के साथ-साथ ही हम आवश्यक रूप से पानी की खेती भी करें, इसलिए किसानों को प्रेरित करना होगा। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग सिर्फ आवश्यकतानुसार किया जाना चाहिए, इस बात से भी किसानों को अवगत कराना है। हमारी खेती किसानी से लाभ अर्जित करने के लिए समय की मांग अनुसार वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ खेती करनी चाहिए। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि जिस गांव में ‘‘कृषि यात्रा‘‘ जाएंगी, इसके एक दिन पूर्व उस गांव में जाने की जानकारी, सूचना, ढोंढी पिटवाकर प्रचार-प्रसार किया जाए। साथ ही गावों में उत्पन्न की जाउ रही फसलों तथा उसमें लगने वाले पानी की जानकारी भी संकलित करें। क्षेत्र के किसी भी एक गांव को मॉडल के रूप में विकसित करे। वैज्ञानिकों की बात किसानों के बीच पहुंचे, ऐसा कार्य हम सभी जनप्रतिनिधियों को करना होगा।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि भूमि की उर्वरा शक्ति आर्गेनिक कार्बन पर निर्भर करती है। हरित क्रांति के सूत्रपात केन्द्र, पंत नगर की भूमि में वर्ष 1960 र्में आेनिक कार्बन की मात्रा 2.5 प्रतिशत थी, जो आज घटकर 0.6 प्रतिशत रह गई है। इसकी मात्रा 0.5 प्रतिशत से कम होने पर भूमि बंजर हो जाती है। रासायनिक खाद और कीटनाशक का अंधाधुंध उपयोग फसलों को जहरीला बनाता है। इसी कारण कैंसर जैसी गंभीर रोग के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और जहरीले तत्वों से मानव जाति को बचाने के लिए गो-आधारित प्राकृतिक खेती ही सबसे प्रभावी समाधान है। बुरहानपुर जिला लगभग 2 हजार करोड़ रूपए की खाद और कीटनाशक दवाईयों का उपयोग कर रहा है। वैज्ञानिक इसका अनावश्यक उपयोग करने से किसानों को रोकने हेतु सचेत कर इससे कृषि भूमि और कृषि उत्पाद पर होने वाले दुष्प्रभाव की किसानों को विस्तृत जानकारी दे।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के विजन के अनुसार व मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में किसानों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए हमारी सरकार निरंतर कार्य कर रही है। मोदी सरकार ने एमएसपी में वृद्धि की है और किसानों को हर क्षेत्र में प्रोत्साहन दिया है। 12 जून तक चलने वाले इस अभियान में खरीफ फसलों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी जाएगी। केन्द्रीय कृषि मंत्री मा.शिवराजसिंह चौहान स्वयं 20 राज्यों के किसनों से सीधा संवाद स्थापित करेंगे। यह अभियान विकसित भारत 2047 की दिशा में देश के अन्नदाताओं की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करेंगा। उन्होंने कहा कि अभियान वैज्ञानिक नवाचार और जमीनी स्तर पर भागीदारी के माध्यम से भारतीय कृषि को बदलने और देश के खाद्य भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक कदम है। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि अभियान अंतर्गत केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं, कृषि वैज्ञानिकों द्वारा इजाद की गई नवीन, उन्नत कृषि तकनीकियों तथा कृषकों द्वारा कृषि में किए जा रहे नवाचारों की जानकारी स्थानीय स्तर पर, कृषि वैज्ञानिकों, पशुपालन, उद्यानिकी, मत्स्य पालन, कृषि अभियांत्रिकी विभागीय अधिकारियों, कृषि उद्यमी एवं प्रगतिशील कृषकों के द्वारा कृषकों दी जाए। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी किसानों से मिलकरी अपना अनुभव साझा करें। किसानों के खेत की मिट्टी का परीक्षण कराकर उन्हंे खेती करने के लिए समझाईश दे। किसानों को पारंपरिक खेती के साथ फल-सब्जी, उत्पादन, पशुपालन, प्रकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित करें।
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि बुरहानपुर जिले के लिए 2 वैज्ञानिकों की टीमें बनी हैं, जो गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद करेंगी। एक दिन में एक टीम 3 गांवों में जाएंगी। यह अभियान 15 दिन तक चलेगा और किसानों के बीच बैठकर सीधा संवाद होगा। क्षेत्र की जलवायु, पानी, मिट्टी के पोषक तत्व व अन्य बातों का ध्यान रखते हुए उसके आधार पर कौन सी फसल बोनी चाहिए, कौन सी वैराइटी होनी चाहिए, खाद का कितना संतुलित उपयोग करना चाहिए। उसके साथ-साथ प्राकृतिक खेती और दलहन और तिलहन की खेती के संबंध में किसानों से चर्चा की जाएगी।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि बुरहानपुर जिले में फसलों की पर्याप्त विविधता है, जिसमें केला, गन्ना, कपास, मक्का एवं गेंहू आदि अत्याधिक जल का उपयोग करने वाली फसले प्रमुखता से उगाई जाती है। इनकी अत्याधिक जल खपत ने भूजल संसाधनों पर गंभीर दबाव डाला है। पिछले कुछ वर्षांे में भूजल स्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। जो निकट भविष्य में जल संकट और कृषि संबंधि चुनौतिया उत्पन्न करेगी। गत 10-15 वर्ष पहले कुओं का जल स्तर 30-40 फीट तथा टयूबवेल का अधिकतम 350-500 फीट था, जो अब कम होकर कुओं का जल स्तर 70-80 फीट एवं टयूबवेल का 600-800 फीट तक पहुंच गया हैं। जो जल संकट की भयावह स्थिति दिखाता है। शासन द्वारा किसानों एवं जनता के हित लाभ में लिए जहाँ भी आवश्यक हो तालाब निर्माण किए जा रहे है, किन्तु किसानों एवं आमजन को भी अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी समझना होगा कि भू जल का स्तर ओर नीचे नहीं गिरे किसानों को कुंआ रिचार्ज, नलकूप रिचार्ज एवं खेत तालाब बनाने होंगे।
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