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एक साथ पैदा हुए 4 बच्चे 60 दिन बाद पहुंचे घर, 2 महीने तक हॉस्पिटल ने दी स्पेशल केयर - BHOPAL QUADRUPLETS BABIES

 



भोपाल की ज्योति ने 4 प्रीमैच्योर बच्चों को दिया था जन्म. 60 दिन विशेष इलाज के बाद सोमवार को किया गया डिस्चार्ज.


एक साथ पैदा हुए 4 बच्चे 60 दिन बाद पहुंचे घर, 2 महीने तक हॉस्पिटल ने दी स्पेशल केयर 


भोपाल:   मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक बड़ा सुखद समाचार सामने आया है. जहां एक साथ जन्मे 4 प्रीमेच्योर बच्चों को स्वस्थ इलाज देकर डिस्चार्ज किया गया. दरअसल, 2 महीने पहले भोपाल के कैलाशनाथ काटजू हॉस्पिटल में महिला ने एक साथ 4 बच्चों को जन्म दिया था, जो काफी चर्चा का विषय बना.  प्रीमैच्योर थे, इसलिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनका विशेष उपचार और ध्यान दिया गया.


60 दिन तक चला उपचार

चारों बच्चों को लगभग 60 दिन तक हॉस्पिटल में रखकर विशेष पद्धति से इलाज किया गया. जिसके बाद अब ये चारों बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हैं और 9 जून को अपनी मां के साथ घर भेज दिए गए. बताया गया कि प्राइवेट हॉस्पिटलों में सर्फेक्टेंट थेरेपी बहुत महंगी होती है. लेकिन शासकीय काटजू चिकित्सालय में चारों बच्चों को नि:शुल्क सर्फेक्टेंट थेरेपी प्रदान की गई. इन बच्चों की पूरी देखभाल डॉक्टर सुजाता जनवदे, डॉक्टर स्मिता सक्सेना, डॉक्टर ममता वर्मा, डॉक्टर प्रतिभा रैकवार, डॉक्टर अमित कुमार चौहान और नर्सिंग स्टाफ द्वारा की गई.



जन्म के समय बहुत कम था बच्चों का वजन

जन्म के बाद चारों बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ नहीं थे. काटजू चिकित्सालय की नोडल अधिकारी डॉ. रचना दुबे ने बताया, "कैलाशनाथ काटजू चिकित्सालय में ज्योति नाम की महिला ने 4 बच्चों को जन्म दिया. ज्योति की डिलीवरी 9 अप्रैल 2025 को हुई थी, यह डिलीवरी प्री टर्म थी और चारों बच्चों का वजन बहुत कम था. 4 में से 1 बच्चा 1 किलो से भी कम का था और 3 बच्चों का वजन लगभग 1 किलो के आस पास ही था. काटजू चिकित्सालय में चारों बच्चों को सीपैप (CPAP) में रखा गया और सर्फेक्टेंट थेरेपी दी गई."

सीपैप एक ऐसी मशीन है, जो लोगों को सांस लेने में मदद करता है. ये मशीन हवा को फेफड़ों में लगातार दबाव के साथ भेजती है ताकि वायुमार्ग खुले रहें और सांस लेने में मदद मिल सके. इसकी मदद से नवजात शिशुओं में खासकर प्रीमैच्योर बच्चों में श्वसन संकट सिंड्रोम के इलाज के लिए सर्फेक्टेंट थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है. जो फेफड़ों में वायुकोश को खुला रखने और सांस लेने में मदद करता है


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