जिला अस्पताल में लापरवाही की हद: 6 माह का मासूम 24 घंटे से बेहोश, डॉक्टरों को नहीं पता कौन सी दवा दी।
परिजन बोले न इलाज मिल रहा, न जवाब, डॉक्टर एक-दूसरे पर थोप रहे जिम्मेदारी, रैफर करने की मांग भी की अनदेखी
प्रदेश पत्रिका:- जिला गुना अस्पताल की बदहाल व्यवस्थाओं की पोल एक बार फिर तब खुल गई जब यहां भर्ती एक छह माह का मासूम बच्चा बीते 24 घंटे से बेहोशी की हालत में अस्पताल के बेड पर पड़ा है और डॉक्टरों की लापरवाही का शिकार बना हुआ है। परिजनों की हालत ऐसी है कि उन्हें यह भी नहीं पता कि उनका बच्चा जीवित है या नहीं। यह गंभीर मामला पुरानी छावनी निवासी वीरेन्द्र रजक का है, जिन्होंने अपने छह माह के बेटे को बुखार आने पर पांच दिन पहले जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। बच्चे को देखने वाले डॉक्टरों में मनीष जैन, डॉ. पीसी और डॉ. धाकड़ शामिल हैं। परिजनों का आरोप है कि शनिवार सुबह करीब 7 बजे बच्चे को अस्पताल में एक ऐसी टेबलेट दी गई, जिसके बाद से वह होश में नहीं आया है।
परिजनों ने बच्चे की बिगड़ती हालत को देखकर डॉक्टरों से उसे तत्काल रैफर करने की मांग की, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें यह कहकर टाल दिया कि बच्चा ठीक है, घबराने की जरूरत नहीं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बच्चे को कौन सी दवा दी गई, इसका जिम्मा कोई भी डॉक्टर लेने को तैयार नहीं है। तीनों डॉक्टर एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपते नजर आए। मासूम के पिता वीरेन्द्र रजक ने एक और गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि डॉ. धाकड़ ने उन्हें अस्पताल में सही इलाज के नाम पर निजी क्लीनिक में दिखाने की सलाह दी और इसके बदले 15 से 20 हजार रुपए की मांग की थी। इस पूरे मामले ने जिला अस्पताल की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है,
जहां एक ओर समय पर सही इलाज नहीं मिलता, वहीं दूसरी ओर मरीजों के परिजनों को पैसों के बदले निजी क्लीनिक भेजने की कोशिश की जाती है। बहरहाल बच्चे की हालत गंभीर बनी हुई है और परिजन परेशान हाल में मदद की गुहार लगा रहे हैं। फिलहाल इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है और डॉक्टरों की चुप्पी से मामला और भी संदेहास्पद बनता जा रहा है।
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