प्रदेश पत्रिका :- पचमढ़ी, सतपुड़ा पर्वत की गोद में बसा एक अनुपम तीर्थस्थल है, जहाँ भगवान शंकर का निवास माना जाता है। विशेषकर नागपंचमी के अवसर पर यहाँ भोलेनाथ के विशेष दर्शन हेतु हजारों श्रद्धालु पैदल यात्रा करते हुए गुफाओं और घने जंगलों को पार कर 'चौरागढ़' स्थित महादेव के पवित्र धाम में पहुँचते हैं।
इस वर्ष नागद्वारी यात्रा 19 जुलाई से 19 जुलाई 2025 यानि 10 दिन का पर्व है ! यह यात्रा पचंधमढ़ी जलगली धुपगढ़ से काजरी होते हुए प्रथम द्वार पद्मशेष महाराज जी के दर्शन कर सबसे उचे पर्वत पर माँ चित्रशाला माता जी विराजमान है , जहाँ पर सभी श्रद्धालू बारी बारी से दर्शन के लिए आतुर होते है , और विशेष सतपुड़ा प्रवत पर भक्तो के चढ़ने उतरने के लिए सौ-सौ फिट की सीढ़िया लगाई है , पचमढ़ी के सतपुड़ा पर्वत का भोलेनाथ जी के नाम से बहुत ही बड़ा महत्व है !
🔱इस यात्रा की ठोस पुरातन विशेषताएँ :-
1. सदियों पुरानी परंपरा: यह यात्रा कोई नया चलन नहीं, बल्कि कई दशकों से नहीं, बल्कि युगों से चली आ रही एक पुरातन धार्मिक परंपरा है। आदिवासी समुदाय, ग्रामीण जन और शहरी भक्त समान श्रद्धा से इस यात्रा में भाग लेते हैं।
2. चौरागढ़ महादेव मंदिर: सतपुड़ा की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर भोलेनाथ की चमत्कारिक उपस्थिति का प्रतीक है। यहाँ चढ़ाई के बाद त्रिशूल चढ़ाने की परंपरा है, जो भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति का संकेत माना जाता है।
3. शिवगुफाएँ और धार्मिक स्थल: यात्रा के दौरान श्रद्धालु महादेव गुफा, जटाशंकर, गुप्त महादेव जैसे रहस्यमयी व पवित्र स्थलों के दर्शन करते हैं, जहाँ प्राचीन ऋषियों ने तप किया था।
4. नागपंचमी का विशेष महत्व: इस दिन भोलेनाथ के गले में विराजित नागराज का पूजन कर भक्तजन उनसे रक्षा, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं।
🌿श्रद्धालुओं की विशेषताएँ
निश्छल श्रद्धा और भक्ति:- श्रद्धालु किसी आराम की अपेक्षा नहीं रखते, केवल शिवदर्शन की भावना लेकर कठोर यात्रा करते हैं।
व्रत और संयम:- यात्रा के दौरान अनेक श्रद्धालु उपवास रखते हैं, मौन धारण करते हैं या निरंतर 'हर हर महादेव' का जाप करते हैं।
ग्रामों से निकलकर वनपथ पर: बुजुर्ग, युवा, महिलाएँ, बच्चे सभी वर्गों के लोग सामाजिक बंधनों से ऊपर उठकर, समर्पण की मिसाल पेश करते हैं।
🌺दर्शन के लाभ :-
1. मनोकामना पूर्ति:-* माना जाता है कि चौरागढ़ महादेव को त्रिशूल चढ़ाने से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं और साधक की इच्छा पूर्ण करते हैं।
2. आध्यात्मिक शांति:-* पर्वत की ऊँचाइयों पर, प्रकृति की गोद में शिव के दर्शन करने से मन, वाणी और आत्मा को शांति का अनुभव होता है।
3. कष्टों से मुक्ति:-* अनेक श्रद्धालु मानते हैं कि इस यात्रा से पुराने रोग, भय, और पारिवारिक संकट दूर हो जाते हैं।
4. परमात्मा से सीधा संवाद:-* यह स्थान और यात्रा शिव से सीधा जुड़ने का माध्यम बनता है जहाँ कोई बिचौलिया नहीं, केवल भक्ति और समर्पण।
⚠️ कुछ सावधानियाँ और संभावित कठिनाइयाँ...
1. भारी चढ़ाई और थकान:-* श्री श्री पद्मशेष महाराज जी , श्री श्री निशान गढ़ महाराज जी , माँ चित्रशाला माता जी , नंदीगढ़ महाराज जी और चौरागढ़ महाराज जी की चढ़ाई अत्यंत कठिन है। वृद्धजनों और अस्वस्थ व्यक्तियों के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
2. भीड़ और अव्यवस्था:-* नागपंचमी पर भीड़ अत्यधिक होती है, जिससे धक्का-मुक्की, गर्मी और असहजता हो सकती है।
3. प्राकृतिक जोखिम:-* वर्षा, फिसलन, जंगली इलाकों में यात्रा करना खतरे से खाली नहीं। उचित तैयारी और समूह के साथ चलना आवश्यक है।
4. भक्ति का दिखावा ना हो:-* कुछ लोग मात्र सामाजिक दिखावे के लिए त्रिशूलों की होड़ लगाते हैं ऐसा करना आत्मा से जुड़ी इस यात्रा की पवित्रता को ठेस पहुँचाता है।
🙏समापन संदेश:-
पचमढ़ी की यह यात्रा केवल पर्वतीय भ्रमण नहीं, यह आत्मा की शिव से सीधी भेंट है। जब हम हर हर महादेव का नाम लेकर ऊँचाइयों की ओर बढ़ते हैं, तब हमारे भीतर की दुर्बलता, मोह और अहंकार छूटता है। यह यात्रा एक आत्मिक शुद्धि, मन की तपस्या और भक्ति का उत्सव है।
Comments
Post a Comment