बुरहानपुर में केला किसानों के हालिया विरोध प्रदर्शनों का मुख्य कारण व्यापारियों द्वारा केला कम दाम पर खरीदना, हम्माली के नाम पर पैसे वसूलना और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा का लाभ न मिलना है। किसानों ने सड़क जाम कर विरोध किया है और सरकार से केले पर समर्थन मूल्य (MSP) लागू करने, भावांतर योजना शुरू करने और आंगनवाड़ी व स्कूलों में केला शामिल करने की मांग की है। एंव कांग्रेस नेताओं ने भी इस आंदोलन का समर्थन करते हुए अर्धनग्न रैली में हिस्सा लिया। दोपहर में सभी सिंधी बस्ती में जमा हुए और विरोध प्रदर्शन किया।
बुरहानपुर में किसानों ने फसल बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग को लेकर गुरुवार को अर्धनग्न होकर विरोध प्रदर्शन किया। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसान सड़कों पर उतरे और रैली निकाली। कांग्रेस नेताओं ने भी इस आंदोलन का समर्थन करते हुए अर्धनग्न रैली में हिस्सा लिया। दोपहर में सभी सिंधी बस्ती में जमा हुए और विरोध प्रदर्शन किया।
कलेक्टर कार्यालय के अंदर घुसने के दौरान पुलिस से झड़प हो गई। जमकर हुई धक्कामुक्की में कलेक्टर कार्यालय के प्रवेश द्वार के कांच फूट गए। सीएसपी गौरव पाटिल ने किसी भी अधिकारी, कर्मचारी को चोट आने से इनकार कर दिया।
यह विरोध प्रदर्शन खकनार के किसान किशोर वासनकर से प्रेरित है, जिन्होंने केले की फसल के सही दाम न मिलने और बीमा न होने से नाराज होकर शर्ट व चप्पल पहनना छोड़ दिया था। वह पिछले कुछ दिनों से अर्धनग्न ही रह रहे हैं, और जिले के किसानों का उन्हें व्यापक समर्थन मिल रहा है।
🍌केला फसल की मांग के लिए प्रदर्शन
गुरुवार को भारतीय किसान संघ के साथ यह आंदोलन बैरियर फाटे पर शुरू हुआ, जहां से बड़ी संख्या में किसान दोपहर एक बजे बुरहानपुर पहुंचे। इससे पहले, बुधवार शाम को किसानों ने कलेक्टर हर्ष सिंह से मुलाकात कर उन्हें आंदोलन की जानकारी दी थी।
किसानों का कहना है कि बुरहानपुर जिले में केला उत्पादकों को मौसम आधारित फसल बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है, जबकि मध्य प्रदेश की सीमा से महज 10 किलोमीटर दूर रावेर में वहां की सरकार यह लाभ दे रही है। उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों से अवगत कराया।
भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष संतोष महाजन ने बताया कि संघ 2019 से केले की फसल का बीमा कराने की मांग कर रहा है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने जोर दिया कि बुरहानपुर जिला 'एक जिला एक उत्पाद' योजना के तहत केले के लिए चिह्नित है, फिर भी फसल बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए किसानों ने फसल बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर यह प्रदर्शन किया।
मांग कैसे धीरे-धीरे ले रही आंदोलन का स्वरूप
खकनार के किसान किशोर वासनकर ने दीपावली से दो दिन पहले अपनी शर्ट और चप्पल उतार दी थी। उनका कहना है कि जब तक किसानों को केले का फसल बीमा और एमएसपी पर फसल खरीद की सुविधा नहीं मिलती तब तक वे कपड़े और चप्पल नहीं पहनेंगे। उन्होंने यह प्रण किसानों की बदहाली को उजागर करने के लिए लिया है। वासनकर के अनुसार पूरे भारत में किसानों को फसल बीमा का लाभ मिल रहा है, लेकिन बुरहानपुर जिले में 2018 से केले की फसल का बीमा बंद कर दिया गया है।
इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि दीपावली जैसे त्योहार पर भी किसानों के पास अपने और बच्चों के लिए नए कपड़े और पटाखे खरीदने के पैसे नहीं रहे। इसे लेकर उन्होंने मंगलवार को भी खकनार में रैली निकालकर तहसीलदार जितेंद्र अलावा को ज्ञापन सौंपा था। जिसमें सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने और केले की फसल का बीमा बहाल करने की मांग की गई थी।
सांसद दो बार, नेपानगर विधायक एक बार उठा चुके मामला केला फसल पर बीमा लाभ की मांग को लेकर खंडवा संसदीय सीट से सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल लोकसभा में दो बार तो वहीं नेपानगर विधायक मंजू दादू एक बार मप्र विधानसभा में यह मुद्दा उठा चुकी हैं। अब तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं हो पाया।
जानिए किसानों को क्या है नुकसान
दरअसल, केला फसल पर किसानों को बीमा प्रीमियम का लाभ नहीं मिलता। किसानों का कहना है कि हर साल प्राकृतिक आपदा से केला फसल प्रभावित होती है।
मप्र सरकार को ओर से फसल खराब होने पर राजस्व विभाग के आरबीसी नियम 6-4 के तहत मुआवजा दिया जाता है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं होता, क्योंकि इससे फसल की लागत भी नहीं निकल पाती। जबकि हर साल किसानों को सीएमवी वायरस, आंधी, तूफान, बारिश के दौरान नुकसानी उठाना पड़ती है।
इस साल भी जिले में तीन बार प्राकृतिक आपदा के कारण अलग अलग गांवों में केला फसल खराब हुई थी, जिसका मुआवजा उतना नहीं मिलता। अगर मौसम आधारित फसल बीमा लागू हो तो किसानों को इसका उचित और पूरा लाभमिले।







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