श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस हुईं सहभागी, हरिनाम संकीर्तन में डूबी ग्राम बंभाड़ा की पावन धरती उस क्षण साक्षी बनी, जब महाजन परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ एवं हरिनाम संकीर्तन का समापन भक्ति, श्रद्धा और आत्मिक भावनाओं के सागर में हुआ।
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस हुईं सहभागी, हरिनाम संकीर्तन में डूबी ग्राम बंभाड़ा की पावन धरती
बुरहानपुर ग्राम बंभाड़ा की धरती उस क्षण साक्षी बनी, जब महाजन परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ एवं हरिनाम संकीर्तन का समापन भक्ति, श्रद्धा और आत्मिक भावनाओं के सागर में हुआ। गूंजते हरिनाम, झूमते श्रद्धालु और अश्रुपूरित नेत्र-मानो संपूर्ण ग्राम ने प्रभु प्रेम को आत्मसात कर लिया हो।
समापन अवसर पर आयोजित काले का कीर्तन में विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) की गरिमामयी उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी दिव्य बना दिया।
हरिभक्त-पारायण ह.भ.प. रामेश्वर महाजन महाराज जी के पावन सान्निध्य में पूरा ग्राम भक्ति भाव से सराबोर रहा। महाराजश्री का श्रीमती चिटनिस ने उनका आत्मीय स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर श्रीमती अर्चना चिटनिस ने भावुक स्वर में कहा कि श्रीमद् भागवत कथा आत्मा को जागृत करने वाला अमृत है, जो हमें प्रकृति और प्रभु दोनों से जोड़ती है। उन्होंने कहा हमारी सनातन संस्कृति ने हमें सिखाया है कि जल, जमीन और जंगल तीनों ही जीवन के आधार हैं। पानी बचेगा तो जीवन बचेगा, मिट्टी बचेगी तो भविष्य बचेगा।
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि जल संरक्षण आज केवल आवश्यकता नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी बन चुका है। वर्षा जल का संचयन, तालाबों और कुओं का पुनर्जीवन तथा नदियों को स्वच्छ रखना यही सच्ची सेवा है।
श्रीमती चिटनिस ने धरती मां की गोद में पली मिट्टी हमारी अन्नदाता है। रासायनिक खेती और अंधाधुंध दोहन ने इसकी आत्मा को आहत किया है। जब मिट्टी कमजोर होती है, तो किसान टूटता है और समाज असंतुलित होता है। जैविक खेती, वृक्षारोपण और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग ही इसका समाधान है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अंचलों में आयोजित ऐसे धार्मिक आयोजन नई पीढ़ी को संस्कारों के साथ प्रकृति प्रेम भी सिखाते हैं। भागवत कथा हमें भोग नहीं, बल्कि संतुलन का मार्ग दिखाती है, उपभोग नहीं, बल्कि संरक्षण का संदेश देती है।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने महाजन परिवार को साधुवाद देते हुए कहा कि ऐसे पावन आयोजन समाज में आशा, आस्था और चेतना जगाते हैं। आज जब मनुष्य सुविधा के पीछे भाग रहा है, तब हरिनाम संकीर्तन उसे स्मरण कराता है कि प्रकृति के बिना प्रगति अधूरी है।
समापन अवसर पर ग्राम बंभाड़ा भक्ति, भाव और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत दिखाई दिया। श्रद्धालुओं की नम आँखें, जुड़े हाथ और गूंजता हरिनाम-यह दृश्य हर हृदय में सेवा, संरक्षण और संस्कार का संकल्प छोड़ गया। ग्रामवासियों ने आयोजन समिति एवं महाजन परिवार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।





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